आम उद्यान: आम की उन नस्लों के बारे में जानिए जो 250 रुपए प्रति पीस बिकती हैं, लखनऊ में पैदा होती हैं

आम उद्यान: आम की उन नस्लों के बारे में जानिए जो 250 रुपए प्रति पीस बिकती हैं, लखनऊ में पैदा होती हैं



आम का मौसम बीतने को है। लेकिन हम आपको आम की उन नस्लों के बारे में बता रहे हैं जो अगस्त और सितंबर में आती हैं। इनकी पैदावार लखनऊ में वैज्ञानिक तरीके से होती है। आम प्रेमी एससी शुक्ला लखनऊ के पारा इलाके में योग बिहार आम उद्यान में ऐसे आमों की खेती करते हैं जो भारत में दुर्लभ हैं। इसमें देशी के साथ-साथ विदेशी नस्लें भी हैं। 



लखनऊ के इस आम उद्यान में इस तरह के आमों की पैदावार की जा रही है जो अपने स्वाद और रंग-रूप में दुर्लभ हैं। इस आम उद्यान को चलाने वाले आरसी शुक्ला आम के शौकीन भी हैं और आम की खेती को वैज्ञानिक तरीके से करने का हुनर भी रखते हैं। आम की खेती में क्या नए प्रयोग हो रहे हैं इसके लिए वह दुनिया हर उस मुल्क में जा चुके हैं जहां पर आम की पैदावार होती है। वह यूरोप, अमेरिका और अफ्रीका में होने वाली आम की नस्लों को अपने उद्यान में ला चुके हैं। 


इस बाग में देसी प्रजाति के अलावा अमेरिका, बैंकॉक, साउथ अफ्रीका, श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया और इंडोनेशिया के साथ कई देशों के आम भी खाने के लिए मिलते हैं. हर एक आम का रूप, रंग और आकार के साथ ही स्वाद अलग है। ये आम भारतीय आमों से रूप और रंग में अलग हैं। इनकी देखभाल भी अलग तरीके से करनी होती है। 


सभी आमों की गुठली और रेशा भी अलग होता है. इन आमों की कई खासियत हैं, जैसे ये बेहद रंग-बिरंगे हैं और रंग लोगों को आकर्षित करता है। खास बात यह है कि यहां आम मार्च से लेकर सितंबर तक खाने को मिलते हैं। आम उत्पादक नेशनल अवार्ड विनर एससी शुक्ला कहते हैं कि दशहरी, लंगड़ा और चौसा हर बार मौसम का शिकार होते हैं, जिससे किसानों को नुकसान होता है। वह ऐसी तकनीकी अपनाते हैं जिससे नुकसान कम से कम हो। 


इस बाग की एक सबसे बड़ी खासियत यह भी है कि एक ही पेड़ पर दो से तीन प्रजातियों के आम लगे हुए हैं।  उन्होंने बताया कि उन्हें आमों को लगाने का शौक था, तो एक बाग तैयार किया. फिर विभिन्न प्रजातियों को इसमें लगाना शुरू किया। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को इस बगिया के आम बहुत पसंद हैं। 




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