नीतीश कुमार ने मोबाइल और हिंदी को लेकर कही यह बातें।
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दिल्ली सेवा विधेयक पर राज्यसभा में सोमवार देर रात हुए मतदान के दौरान कुछ विपक्षी सांसदों की अनुपस्थिति, कुछ दलों के विधेयक का सीधा और परोक्ष समर्थन ने भविष्य में नए सियासी समीकरण बनने के संकेत दिए हैं। खासतौर से ठीक मतदान के दौरान उपसभापति हरिवंश के कार्यवाही संचालन के लिए आसन पर बैठने को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। रालोद के मुखिया जयंत चौधरी की मतदान से दूरी ने उनकी भाजपा से नजदीकियां बढ़ने की चर्चाओं को और बल दिया है।
गौरतलब है कि रालोद मुखिया जयंत चौधरी, पूर्व पीएम एचडी देवगौड़ा और सपा समर्थित निर्दलीय सांसद कपिल सिब्बल ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। इसके अलावा वाईएसआरसीपी, बीजेडी और टीडीपी ने विधेयक का समर्थन किया, जबकि मतदान के दौरान कार्यवाही संचालन की जिम्मेदारी संभाल रहे उपसभापति हरिवंश जदयू द्वारा जारी व्हिप और मतदान करने से बच गए।
जयंत के साथ पक रही खिचड़ी: उत्तर प्रदेश में सपा की सहयोगी रालोद विपक्षी गठबंधन इंडिया में शामिल है। जयंत बंगलूरू में हुए विपक्षी दलों की बैठक में शामिल भी हुए थे। फिर विधेयक का विरोध करने का फैसला सर्वसम्मति से लिया गया था। बावजूद इसके जयंत की मतदान से दूरी से पर्दे के पीछे से उनकी भाजपा से बातचीत की चर्चाओं को बल मिला है। सूत्रों का कहना है कि शीर्ष स्तर पर भाजपा की जयंत से बातचीत चल रही है। भाजपा ने जयंत के समक्ष दो सीटों का प्रस्ताव दिया है। हालांकि, इस पर अंतिम फैसला नहीं हो पाया है।
जद(एस)-टीडीपी से नहीं टूटा संपर्क
राज्यसभा में जद(एस) के इकलौते सांसद एचडी देवगौड़ा ने भी मतदान से दूरी बनाई, जबकि टीडीपी ने विधेयक के पक्ष में वोट दिया। टीडीपी ने अविश्वास प्रस्ताव पर भी सरकार का साथ देने की घोषणा की है। इससे संकेत मिले हैं कि लोकसभा चुनाव में इन दोनों दलों की भाजपा से गठबंधन की संभावना खत्म नहीं हुई है। हालांकि, टीडीपी-भाजपा गठबंधन में वाईएसआरसीपी का भी पेंच है। आंध्रप्रदेश की दोनों प्रतिद्वंद्वी पार्टियां टीडीपी और वाईएसआरसीपी भाजपा के पक्ष में खड़ी है।
व्हिप के साथ मतदान से बचे हरिवंश
जदयू सांसद और उपसभापति हरिवंश मतदान के दौरान आसन पर नजर आए। इसके कारण वह पार्टी के व्हिप के साथ ही मतदान करने से भी बच गए। जदयू सूत्रों का कहना है कि इससे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बेहद नाराज हैं। पार्टी ने पहली बार उन्हें व्हिप जारी कर विधेयक के विरोध में वोट देने का निर्देश दिया था। जदयू के वरिष्ठ नेता ने कहा कि यह साफ है कि विधेयक का साथ देने के लिए उन्होंने आसन पर आसीन होने का बहाना बनाया। इससे भले ही उनके खिलाफ व्हिप के उल्लंघन के मामले में कार्रवाई नहीं हो सकती, मगर ऐसा कर हरिवंश ने अपनी निष्ठा स्पष्ट कर दी है।
फिर काम आई शाह की रणनीति
बीजेडी, वाईएसआरसीपी के समर्थन के साथ ही विधेयक का राज्यसभा में पारित होना तय था। हालांकि, गृह मंत्री अमित शाह चाहते थे कि विधेयक के समर्थन में संख्याबल अधिक हो। इसी रणनीति के तहत बीजेडी, वाईएसआरसीपी, टीडीपी को साधा गया। सीधे समर्थन करने में असमर्थता जताने वाले सांसदों को मतदान से दूर रहने के लिए मनाया।