दूसरे क्षेत्रीय कार्यालयों में भी सेंसर होंगी हिंदी डब फिल्में, पहलाज निहलानी का आदेश रद्द

दूसरे क्षेत्रीय कार्यालयों में भी सेंसर होंगी हिंदी डब फिल्में, पहलाज निहलानी का आदेश रद्द


केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड ने गैर हिंदी भाषी फिल्मों के निर्माताओं को एक बड़ी राहत देते हुए हिंदी में डब फिल्मों को मुंबई में ही सेंसर सर्टिफिकेट प्राप्त करने की अनिवार्यता को रद्द कर दिया है। सेंसर बोर्ड के पूर्व चेयरमैन पहलाज निहलानी के कार्यकाल में जारी इस आदेश के चलते ही मुंबई स्थित सेंसर बोर्ड कार्यालय में हिंदी में डब फिल्मों के निर्माताओं की कतार लगी रहती रही है। और, इसी के चलते हाल ही में फिल्म तमिल ‘मार्क एंटोनी’ के डब संस्करण को सेंसर सर्टिफिकेट देने में कथित रूप से लाखों रुपये की घूस देने का मामला सामने आया था।

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केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) जिसे सामान्य बोलचाल में सेंसर बोर्ड कहा जाता है, पर हाल के दिनों में फिल्मों और इनके ट्रेलर को सेंसर सर्टिफिकेट देने में मनमानी करने के तमाम आरोप लगते रहे हैं। शनिवार को ही हिंदी फिल्म ‘मंडली’ के निर्देशक राकेश चतुर्वेदी ओम ने मुंबई स्थित सेंसर बोर्ड के अधिकारियों पर अपना उत्पीड़न करने और सेंसर बोर्ड के दफ्तर जाने पर अपमानित करने का आरोप लगाया। इसके पहले तमिल फिल्मों के चर्चित कलाकार विशाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को किए गए ट्वीट में सेंसर बोर्ड के मुंबई दफ्तर में व्याप्त भ्रष्टाचार की तरफ उनका ध्यान आकृष्ट किया था।


दरअसल, जब फिल्म निर्माता पहलाज निहलानी सेंसर बोर्ड के चेयरमैन थे तो उनके कार्यकाल में 19 अप्रैल 2017 को एक विवादास्पद आदेश पारित हुआ इस आदेश में कहा गया था कि हिंदी में डब होकर रिलीज होने वाली सारी फिल्मों को सेंसर सर्टिफिकेट अब सिर्फ मुंबई स्थित सेंसर बोर्ड दफ्तर ही जारी करेगा। अभिनेता विशाल की शिकायत के बाद केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने इस बारे में एफआईआर दर्ज की और तब से सीबीआई की एक टीम सेंसर बोर्ड के मुंबई दफ्तर में डेरा डाले हुए हैं। जांच के दौरान ही ये सामने आया कि हिंदी में डब फिल्मों का बीते एक दशक में जिस तेजी से टीवी और सिनेमाघरों में कारोबार बढ़ा है, उसके चलते सेंसर बोर्ड के मुंबई दफ्तर प्रांगण में सक्रिय कुछ दलालों ने इसे कमाई का मोटा जरिया बना लिया है।


ये तथ्य सामने आने के बाद सेंसर बोर्ड के मौजूदा मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) रवींद्र भाकर से सरकार ने दो दिन पहले एक आदेश जारी कराया है। इस आदेश में कहा गया है फिल्म उद्योग के प्रतिनिधियों और सेंसर बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालयों के अधिकारियों से मिली प्रतिक्रियाओं का अध्ययन करने के बाद सेंसर बोर्ड के 19 अप्रैल 2017 के उस आदेश को निरस्त किया जाता है जिसमें हिंदी में डब फिल्मों को सिर्फ मुंबई में ही सेंसर किए जाने की बात कही गई थी। अब हिंदी में डब होने वाली फिल्में सेंसर बोर्ड के उन्हीं क्षेत्रीय कार्यालयों से सेंसर हो सकेंगी, जिन क्षेत्रों की भाषाओं में इनकी मूल फिल्में बनी हैं। उदाहरण के लिए कि अब तमिल में बनी फिल्म के हिंदी डब संस्करण को चेन्नई में ही प्रमाण पत्र मिल जाएगा।


रवींद्र भाकर के हस्ताक्षर से जारी इस आदेश में कहा गया है कि ये व्यवस्था फिलहाल छह महीने के लिए लागू की गई है और ये 20 अक्तूबर 2023 से प्रभावी हो चुकी है। इस नई व्यवस्था से सेंसर बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालयों की मौजूदा व्यवस्था और कार्यप्रणाली बाधित न हो, इसका पूरा ध्यान रखा जाएगा और छह महीनों के बाद इस निर्णय की फिर से समीक्षा की जाएगी। इंडियन मोशन पिक्चर्स प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (इम्पा) के अध्यक्ष अभय सिन्हा ने केंद्र सरकार के इस फैसले को स्वागत किया है और इसे निर्माताओं के हित में बताया है। उनके मुताबिक फिल्म निर्माताओं की ये मांग लंबे समय से अनसुनी ही रही है।

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