मुरादाबाद दंगे की रिपोर्ट हुई सार्वजनिक
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ईद की नमाज के बाद भड़का दंगा पूरे शहर में फैल गया था। दंगाई दुकानों और घरों में आग लगाते हुए आगे बढ़ते चले गए। हालात बेकाबू होने पर शहर में साढ़े दस बजे कर्फ्यू लगा दिया गया था। बावजूद इसके शहर में हिंसात्मक घटनाएं होती रहीं।
कोई अपने बच्चे के लिए दूध लेने घर से निकला तो वापस नहीं आया तो किसी को घर से खींच कर गोली मार दी गई थी। कई दिन तक शहर में आगजनी और लूटपाट की घटनाएं होती रहीं थी। सार्वजनिक की जांच रिपोर्ट के मुताबिक, 13 अगस्त 1980 को ईदगाह में करीब 70 हजार नमाजी मौजूद थे।
गलशहीद से लेकर संभल चौराहे तक कई पार्टी और संगठनों ने शिविर लगा रखे थे। सवा नौ बजे नमाज समाप्त हो गई थी। हर साल की तरह ईदगाह के आस पास दूसरे समुदाय के लोग भी ईद की बधाइयों देने के लिए मौजूद थे। इसी दौरान मुस्लिम लीग के शिविर से शोरगुल होने लगा।
इसी दौरान पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी फोर्स लेकर मौके पर पहुंचे और शोरगुल का कारण पूछा। उन्हें बताया कि यहां एक जानवर आ गया है। लोगों को समझाकर वहां फोर्स बढ़ा दिया था। इसके बाद अधिकारी वरिष्ठ अधिकारियों को शोर गुल का कारण बताते जा रहे थे।
इसी दौरान दंगा शुरू हो गया था। ईदगाह से भड़का दंगा शहर के दूसरे इलाकों में फैलने लगा था। एसपी के माथे पर एक रोड़ा लगा था। जिससे उनके माथे से खून बहना शुरू हो गया था। नगर पालिका के एक अधिकारी को मौके पर ही मार दिया गया था।
साढ़े दस बजे पूरे शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया था। घरों से निकलने पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई थी। बावजूद इसके शहर में हिंसात्मक घटनाएं होती रहीं। इसके बाद लोगों की दुकानें और घर जला दिए गए थे। लोगों के घरों पर पथराव किया गया था। हमले में चाकू, भाले और तबल का इस्तेमाल किया गया था।