मेजर आशीष।
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अनंतनाग में शहीद हुए पानीपत निवासी शहीद मेजर आशीष धौंचक पहले ही प्रयास में एसएसबी की परीक्षा पास कर लेफ्टिनेंट बन गए थे। उनकी शिक्षा गांव और शहर के स्कूल में हुई। मेजर आशीष बचपन से ही साहसी थे। परिजनों का कहना है कि इसी साहस में वे आतंकवादियों से सीधा भिड़ गए। उन्होंने अपनी जान की भी परवाह नहीं की। परिवार के लोगों को जहां उनकी मौत का गम है, वहीं उनकी शहादत पर गर्व भी है।
उनके चाचा रमेश ने बताया कि आशीष बचपन में गांव में ही रहता था। वह पढ़ाई के साथ खेलों में भी आगे था। वह अपनी उम्र और बड़े बुजुर्गों के साथ घुलमिल कर रहता था। बचपन में ही देश सेवा की बड़ी-बड़ी बातें करता था।
23 अक्टूबर 1987 को जन्म लेने वाले आशीष 1 जून 2013 को भारतीय सेवा में लेफ्टिनेंट बने तो पूरे परिवार को उन पर फक्र हुआ। उनकी ट्रेनिंग देहरादून में हुई। पहली पोस्टिंग ही जम्मू कश्मीर में रही। वे लंबे समय तक जम्मू में रहे। इसके बाद उनकी दूसरी पोस्टिंग बठिंडा और तीसरी मेरठ में हुई। दो साल पहले उनकी चौथी पोस्टिंग जम्मू कश्मीर में हुई थी। जम्मू से अन्य स्थान पर दो साल बाद तबादला होना था।
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बैडमिंटन खेलते थे मेजर
परिजनों ने बताया कि शहीद मेजर आशीष धौंचक पढ़ाई के साथ खेलों में भी अव्वल थे। वह स्कूल समय में बैडमिंटन के अच्छे खिलाड़ी थे। उनको घर बाहर की साफ सफाई पसंद थी। उन्होंने अपने किराये के मकान में दीवारों पर फोटो तक नहीं लगा रखी थी। वे सादा जीवन जीते थे। टीडीआई में भी अपने सपनों का मकान बनाने में लगे थे। मेजर आशीष धौंचक को 23 अक्तूबर को जन्मदिन पर परिवार के सदस्य गृह प्रवेश की तैयारी में थे। उन्हें अक्तूबर में छुट्टी आना था।
दो साल पहले मेरठ से हुआ था तबादला
परिजनों ने बताया कि शहीद मेजर आशीष धौंचक का दो साल पहले मेरठ से जम्मू कश्मीर तबादला हुआ था। तब उनकी पत्नी ज्योति और चार साल की बेटी वामिका उनके साथ ही रहते थे। उन्होंने देश सेवा के रास्ते में परिवार का मोह न आने देने की सोच के साथ पत्नी ज्योति और बेटी वामिका को अपने माता-पिता के पास सेक्टर-7 में छोड़ गए थे। वे पिछले दिनों छुट्टी पर आए थे तो वामिका का शहर के एक बड़े स्कूल में दाखिला कराया था। वे समय लगते ही अपने माता-पिता, पत्नी और बेटी से फोन पर बात करते थे। वे उनसे मकान के निर्माण को लेकर अधिकतर चर्चा करते थे।
चचेरे भाई के साथ ही पास की थी एसएसबी की परीक्षा
परिवार के सदस्यों ने बताया कि आशीष के चाचा का लड़का विकास उनसे 6 महीने पहले लेफ्टिनेंट बना था। दोनों ने एसएसबी की परीक्षा एक साथ दी थी। आशीष ने अपने चचेरे भाई विकास से पहले मेजर की पदोन्नति ली। उनको हाल ही में सेवा मेडल मिला है। यह मेडल किसी भी अधिकारी को अद्वितीय कार्य करने पर मिलता है।