अतीत का अलीगढ़ 2: 1804 में क्लाउड रसेल बनाए गए थे अलीगढ़ के पहले कलक्टर, ऐसे बना था जिला

अतीत का अलीगढ़ 2: 1804 में क्लाउड रसेल बनाए गए थे अलीगढ़ के पहले कलक्टर, ऐसे बना था जिला



अतीत का अलीगढ़
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


आंग्ल-मराठा युद्ध 1803-1805 के दौरान लड़ा गया था। ब्रिटिश सेना की 76वीं बटालियन ने अलीगढ़ के किले पर अपना कब्जा जमा लिया था। इससे पहले यह फ्रांसीसी अफसर पेरोन के कब्जे में था। 1804 में मुरादाबाद के अनूपशहर  (मौजूदा समय में बुलंदशहर की तहसील) और इटावा की सिकंदराराऊ तहसील को मिलाकर अलीगढ़ जिले की स्थापना की गई। क्लाउड रसेल अलीगढ़ के पहले कलक्टर बनाए गए थे। हालांकि अलीगढ़ का जिक्र मोरक्को के मशहूर यात्री इब्न बतूता ने अपने यात्रा वृत्तांत में एक सराय या पड़ाव के तौर पर किया है। 

अकबर और बाद के मुगल शासकों के लिए अलीगढ़ एक शिकारगाह के तौर पर मशहूर रही थी। अंग्रेजों के कब्जे में आने के बाद अलीगढ़ में प्रशासनिक तौर पर व्यापक परिवर्तन देखे गए। विकास की दौड़ में भी यह जिला तेजी से दौड़ा।

1800-1850 तक ढाक के घने जंगल हुआ करते थे अलीगढ़ में

अब अलीगढ़ में जंगल देखने को नहीं मिलता। अलीगढ़ गजेटियर में वर्णित है कि उन्नीसवीं सदी के शुरुआती वर्षों में जब अलीगढ़ अंग्रेजों के कब्जे में आया तब  इस जिले में ढाक के घने जंगल हुआ करते थे। लेकिन बेलगाम कटान से 1850 तक आते-आते यह जंगल लगभग खत्म हो गए। उन जमीनों पर खेती होने लगी थी। 1909 के आसपास जंगल बहुत कम क्षेत्र में रह गए थे। इनका ज्यादातर हिस्सा तत्कालीन जमींदारों ने जलौनी ईधन के तौर पर संरक्षित रखा था। इस दौर में चंडौस परगना के हलके पिसावा के जाट जमींदारों ने कुछ जंग बचाए रखा था। 

जंगल की एक पतली पट्टी अतरौली तहसील के ऊसर वाले इलाकों में पठान जमींदारों ने बचा रखी थी। सिकंदराराऊ और अलीगढ़ तहसील में भी थोड़े हिस्से में जंगल बच गए थे। अलबत्ता, गंगा के खादर में झाऊ के जंगल फैले हुए थे। इनका आर्थिक मोल तो ज्यादा नहीं था, लेकिन इनमें सुअर समेत कई जंगली जानवरों का डेरा था। जंगली जानवर फसलों को काफी नुकसान पहुंचाते थे। लिहाजा ये जमींदारों और किसानों के निशाने पर रहे।



Source link

Facebook
Twitter
LinkedIn
Pinterest
Pocket
WhatsApp

Related News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *