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उत्तर प्रदेश में औद्योगिक विकास को रफ्तार देने के लिए सरकार ने वैश्विक निवेशक सम्मेलन में 35 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के निवेश समझौते तो कर लिए हैं, पर इनकी फाइलें विभिन्न विभागों में अफसरशाही के चंगुल में फंस गई हैं। एनओसी न मिलने की वजह से कई बड़ी कंपनियों के अरबों के निवेश अटके पड़े हैं। इसे देखते हुए अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त (आईआईडीसी) मनोज कुमार सिंह ने संबंधित विभागों को अड़चनें जल्द दूर करने के निर्देश दिए हैं।
जिला व मंडलीय उद्योग बंधु की समीक्षा में तीस बड़े मामलों की कार्यप्रगति में खुलासा हुआ कि किसान आंदोलन, नियमों में अस्पष्टता, लापरवाही और ढिलाई की वजह से रिलायंस, भारत पेट्रोलियम, अमेजन सहित कई समूहों की योजनाएं अभी शुरू नहीं हो सकी हैं।
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बिना कब्जा खाली कराए निवेशकों को दे दी जमीन
जिला व मंडलीय उद्योग बंधु की बैठकों में निवेशकों के सामने आ रही समस्याओं की परतें खुल रही हैं। पता चला है कि सहारनपुर, ग्रेटर नोएडा व कानपुर देहात में तीन प्रस्तावों को किसानों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में सभी औद्योगिक विकास प्राधिकरणों को निर्देश दिए गए हैं कि भूखंडों से कब्जे हटवाकर निवेशक को आवंटित किए जाएं। यह भी पता चला है कि नोएडा, ग्रेटर नोएडा, कानपुर देहात, सहारनपुर आदि में बड़ी संख्या में कब्जे वाली जमीनें बिना खाली कराए निवेशकों को दे दी गई हैं। नतीजा यह हुआ कि दो साल बाद भी वहां फैक्टरियां नहीं लग सकीं।
नोएडा और गौतमबुद्धनगर के दो मामलों की समीक्षा में पाया गया कि एक को बिजली के खंबों से भरी जमीन दे दी गई। एक भूखंड से हाइपरटेंशन लाइन गुजर रही है तो एक में किसान कब्जा किए बैठे हैं। आईआईडीसी ने कहा कि दो-दो साल तक जमीन को कब्जा मुक्त न करा पाने से साफ है कि अधिकारियों का रवैया लापरवाह है। इस तरह के मामलों में औद्योगिक विकास प्राधिकरणों से कहा गया है कि न तो उद्यमी से समय विस्तार शुल्क लिया जाएगा और न ही किसी तरह का दंड-ब्याज आदि वसूला जाएगा। इसके उलट जमीन खाली कराकर देने के बाद उद्यमियों को फैक्टरी लगाने के लिए समय दिया जाएगा।