पत्नी के साथ कर्नल मनप्रीत सिंह।
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पंजाब के मोहाली जिले के सपूत कर्नल मनप्रीत सिंह के अदम्य साहस और वीरता की चर्चा हर कोई कर रहा है। उन्हें आतंकियों को ढेर करने में महारत हासिल थी। जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान उन्होंने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया तो पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई।
पत्नी जगमीत कौर ने बुधवार सुबह 6:45 बजे रोजाना की तरह कर्नल मनप्रीत से फोन पर बात की थी। इस दौरान उन्होंने सिर्फ इतना ही कहा कि वह एक मिशन पर हैं… बाद में बात करेंगे। यह जगमीत कौर से उनकी आखिरी बात थी। पत्नी जगमीत कौर बार-बार इसी आखिरी बात को याद कर रही हैं। उन्हें क्या पता था कि ये आखिरी बात होगी।
15 दिन पहले कश्मीर से घूमकर आया परिवार
शहीद की पत्नी जगमीत कौर के भाई राहुल ग्रेवाल ने बताया कि 15 दिन पहले ही वह सभी लोग कश्मीर घूमने गए थे। शहीद की पत्नी, बेटे और परिवार के अन्य सदस्यों ने कश्मीर के अलग-अलग इलाकों को देखा। उन्होंने बताया कि मनप्रीत लंबे समय से कश्मीर में तैनात थे और अब उनका तबादला चंडीमंदिर कैंट एरिया में होने वाला था इसलिए कर्नल मनप्रीत ने सभी को कश्मीर बुलाया था ताकि उन्हें कश्मीर घुमा सकें। तब उन्होंने कहा था कि पता नहीं अब कब कश्मीर आना हो।
अक्तूबर में छुट्टी पर आने वाले थे मनप्रीत
कर्नल मनप्रीत के ससुर जगदेव सिंह गुरुवार सुबह पार्थिव शरीर लेने जम्मू जा रहे थे। इस पर उन्हें सेना की ओर से कहा गया कि इस तरह से शव लेने जाने में समय अधिक लगेगा। बताया गया है कि उनका पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव लाया जाएगा। कर्नल मनप्रीत का परिवार पिछली तीन पीढ़ियों से फौज में शामिल होकर देश की सेवा करता आ रहा रहा है।
दादा शीतल सिंह ने भारत-पाक बंटवारे से सेवानिवृत्ति तक तीन युद्ध लड़े। उनके पांच बेटों में से तीन आर्मी में गए। जगदेव सिंह ने बताया कि कर्नल मनप्रीत अक्तूबर में छुट्टी आने वाले थे। अपनी बुक्स को बाइंड करवाकर रखने को कहा था। उन्हें अगली प्रमोशन के लिए टेस्ट देना था। मनप्रीत के छोटे भाई संदीप ने बताया कि जब हम छोटे थे तो हम देखते थे कि पापा अपने से बड़े अफसरों को सैल्यूट करते हैं। मनप्रीत ने तभी से सोच लिया था कि वह एक दिन सेना में अफसर बनेंगे। फिर जब पापा उनके साथ खड़े होंगे तो वही अफसर उन्हें सैल्यूट करेंगे, जिन्हें वो तब सैल्यूट करते थे।