अलीगढ़ की वीरांगनाएं: यातनाएं सहीं, जेल गईं, उफ नहीं की, भरी हुंकार-अंग्रेजों भारत छोड़ो

अलीगढ़ की वीरांगनाएं: यातनाएं सहीं, जेल गईं, उफ नहीं की, भरी हुंकार-अंग्रेजों भारत छोड़ो



मां तुझे प्रणाम
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


अलीगढ़ जनपद की वीर नारियों ने स्वतंत्रता संग्राम में अपूर्व योगदान दिया था। 1942 में अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में इनकी गौरव गाथा नई पीढ़ी को जरूर सुनाई जानी चाहिए। दस्तावेजों में अलीगढ़ की कई वीरांगनाओं का उल्लेख है। फिरंगियों की दमनकारी नीतियों और उत्पीड़न की परवाह न करके उन्होंने विषम हालात में उन्होंने स्वातंत्र्य महायज्ञ में अपनी समिधा डाली थी। कई को जेलों में कैद करके अंग्रेजों ने भीषण यातनाएं भी दीं लेकिन आजादी की इन मतवालियों ने उफ तक नहीं की।

अलीगढ़ की महिला स्वतंत्रता सेनानियों में कस्तूरी देवी पत्नी भीकम सिंह, कृष्णा दुलारी, दुर्गा देवी, हेमलता, उर्मिला देवी, किशोर दुलारी, गंगा देनी, तोफा देवी, रामप्यारी, लक्ष्मी देवी, नंद कौर, कस्तूरी देवी, , सूरज बाई, चम्पा देवी, हरप्यारी आदि महिलाओं ने सीधे तौर पर स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया था। इन महिलाओं में तोफा देवी की दास्तां बेहद मार्मिक है। 

अलीगढ़ की वीरांगनाएं

24 सितंबर 1942 को अलीगढ़ के क्रांतिकारियों ने सैनिक ट्रेन को बम से उड़ाने की योजना बनाई थी। इसके नायक थे देवीदत्त कलंकी । हालांकि ट्रेन लेट होने की वजह से तो बच गई लेकिन स्टेशन पर बम फटने से छह लोगों की मौत हो गई। इसके बाद अंग्रेजों का दमनचक्र शुरू हो गया। उन्होंने देवीदत्त की मां तोफा देवी का पूछताछ में खूब उत्पीड़ किया। यहां तक कि देवीदत्त के 10 साल के भाई को पेड़ से उल्टा लटका कर इतना पीटा कि उनकी मौत हो गई। तोफा देवी को अंदेशा था कहीं वह अंग्रेजों के दमनचक्र में पिस कर कहीं कमजोर न पड़ जाएं और क्रांतिकारियों का राज न उगल दें। उन्होंने जहर खाकर जान दे दी लेकिन अंग्रेजों को किसी राज की जानकारी नहीं दी।



Source link

Facebook
Twitter
LinkedIn
Pinterest
Pocket
WhatsApp

Related News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *