स्कूल में छात्रा की मौत (सांकेतिक)
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आजमगढ़ के चिल्ड्रन गर्ल्स कॉलेज में छात्रा की मौत का मामला बढ़ता ही जा रहा है। प्रधानाचार्या व शिक्षक की गिरफ्तारी को लेकर सीबीएसई स्कूल मैनेजर्स एसोसिएशन लामबंद हो गया है।
चिल्ड्रन गर्ल्स कॉलेज की छात्रा श्रेया तिवारी की आत्महत्या का प्रकरण खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। पुलिस द्वारा इस मामले में प्रधानाचार्य और कक्षाध्यापक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। इसके बाद भी इस घटना का रोष खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। मंगलवार को एक बार फिर इस घटना को लेकर उबाल देखने को मिला। एक तरफ जहां पूरे प्रदेश में निजी विद्यालय बंद रहे, वहीं दूसरी ओर अभिभावक संघ के साथ अन्य संगठनों ने मिलकर शहर में जुलूस निकाला और अभिभावकों से अपने बच्चों को बुधवार को विद्यालय न भेजने की अपील की गई।
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बता दें कि 31 जुलाई को चिल्ड्रन गर्ल्स कॉलेज की कक्षा 11 की छात्रा श्रेया तिवारी की बैग में मोबाइल मिलने के मामले में प्रधानाचार्य के समक्ष पेशी होती है। प्रधानाचार्य द्वारा छात्रा को डांटा फटकारा जाता है और अपने कक्ष के बाहर खड़ा करते हुए परिजनों को बुलाने की बात कही जाती है। इसके बाद विद्यालय की ओर से श्रेया के परिजनों को फोन किया जाता है और उनके आने का इंतजार होने लगता है। काफी देर तक खड़ी रहने के बाद श्रेया अचानक ऊपर जाने के लिए सीढि़यों की ओर चल देती है। तीसरी मंजिल पर पहुंचकर वहां से कूदने का प्रयास करने लगती है, बच्चे शोर मचाते हैं। जब तक उसे बचाया जाता तब तक वह ऊपर से कूद जाती है। इसके बाद विद्यालय के कर्मचारी उसे आनन फानन में लेकर रमा अस्पताल में पहुंचते हैं जहां चिकित्सकों द्वारा उसे मृत घोषित कर दिया जाता है। इसके बाद जब विद्यालय में श्रेया के परिजन पहुंचते हैं तो उन्हें एंबुलेंस में एक शव रखा हुआ मिलता है। वहां मौजूद कर्मचारी से पूछने पर उसे प्रधानाचार्य के पास भेज दिया जाता है। जहां उन्हें श्रेया के साथ हुए हादसे की जानकारी दी जाती है। इसके बाद परिजनों द्वारा पुलिस को फोन से सूचना दी जाती है। मौके पर पुलिस पहुंचती है और फोरेंसिक टीम को बुलाकर छानबीन करती है। इस दौरान परिजनों द्वारा विद्यालय प्रबंधन पर अनेक आरोप लगाए जाते हैं। पुलिस द्वारा शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया जाता है। पोस्टमार्टम में चोट के कारण ही मौत की बात सामने आई।
सामाजिक संगठनों ने खोला मोर्चा
आजमगढ़। इस घटना के दूसरे दिन से ही कुछ सामाजिक संगठनों ने विद्यालय प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उनके द्वारा डीएम को ज्ञापन सौंपने के साथ ही कैंडिल मार्च निकालकर प्रधानाचार्य और कक्षाध्यापक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जाने लगी। इस पर पुलिस द्वारा प्रधानाध्यापक और कक्षाध्यापक के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया।