आजम की बढ़ी मुश्किलें: सीबीआई के बाद अब ईडी करेगा जौहर विवि की जांच, चैरिटी के पैसों का होटल में किया निवेश

आजम की बढ़ी मुश्किलें: सीबीआई के बाद अब ईडी करेगा जौहर विवि की जांच, चैरिटी के पैसों का होटल में किया निवेश



पिछले कुछ समय से आजम लगातार विवादों में हैं।
– फोटो : अमर उजाला

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रामपुर में मौलाना अली जौहर विश्वविद्यालय के निर्माण में सरकारी विभागों का पैसा लगा होने के प्रमाण मिलने के बाद आयकर विभाग जल्द प्रवर्तन निदेशालय को पत्र लिखकर जांच शुरू करने की सिफारिश करेगा। दरअसल, निजी विश्वविद्यालय में सरकारी धन खर्च होने की जांच आयकर एक्ट में संभव नहीं है। इसी वजह से ईडी को पत्र लिखकर सरकारी अधिकारियों द्वारा बड़े पैमाने पर अंजाम दिए गए इस भ्रष्टाचार की जांच करने का अनुरोध किया जाएगा।

बता दें कि ईडी पूर्व मंत्री एवं सपा के वरिष्ठ नेता आजम खां के खिलाफ तीन मामलों की जांच पहले से कर रहा है। इनमें जौहर विश्वविद्यालय का निर्माण, जल निगम भर्ती घोटाला और रामपुर में जबरन किसानों की जांच हड़पने की जांच शामिल है। आयकर विभाग की सिफारिश पर अब सरकारी विभागों की रकम को निजी विश्वविद्यालय में खर्च करने की जांच भी जल्द शुरू हो सकती है। वहीं, आजम खां के करीबी फसीह जैदी के आवास से मिले दस्तावेजों की पड़ताल में सामने आया है कि जौहर ट्रस्ट को मिली दान की रकम को चैरिटी के काम की बजाय आजम अपने कुनबे पर खर्च कर रहे थे। 

होटल, रिसॉर्ट में किया निवेश 

बड़े पैमाने पर इस रकम को होटल, रिसॉर्ट, कॉलेज और संपत्तियों में निवेश किया गया है। वहीं विश्वविद्यालय परिसर में कुल 58 इमारतों की निर्माण लागत 418.37 करोड़ रुपये आंकी गई है। इन इमारतों में बड़ी तादाद में अत्याधुनिक उपकरण, फर्नीचर इत्यादि भी मिले हैं, जिससे इसकी कीमत कई गुना ज्यादा होने का अनुमान लगाया जा रहा है। जांच में यह भी सामने आया है कि वर्ष 2021-22 में जौहर ट्रस्ट को फीस के रूप में 4.96 करोड़ रुपये और रामपुर पब्लिक स्कूल से 3.51 करोड़ रुपये मिले थे, हालांकि इसका जिक्र आयकर रिटर्न में नहीं किया गया था।

अलग-अलग बही-खाते बनाए

जांच में सामने आया है कि जौहर ट्रस्ट दो अलग-अलग बही-खाते संचालित कर रहा था। इनमें से एक आयकर विभाग के ई-फाइलिंग पोर्टल पर अपलोड था, जबकि दूसरा विश्वविद्यालय परिसर में टैली सॉफ्टवेयर पर संचालित किया जा रहा था। जांच में सामने आया कि ई-फाइलिंग पोर्टल पर 8.31 करोड़ रुपये का खर्च दर्शाया गया, जबकि यही खर्च टैली सॉफ्टवेयर पर महज 5.10 करोड़ रुपये दर्ज किया गया था। यह भी सामने आया कि जौहर विश्वविद्यालय कर्मचारियों की तनख्वाह पर बड़ी रकम को खर्च कर रहा था, हालांकि इसका टीडीएस नहीं काटा जा रहा था।

हाजी इकबाल ने दिए 7.42 करोड़ के उपकरण

जांच में पता चला कि सहारनपुर के खनन माफिया एवं पूर्व बसपा एमएलसी हाजी इकबाल ने जौहर विश्वविद्यालय को 7.42 करोड़ रुपये के उपकरण दिए थे। ये उपकरण सहारनपुर के ग्लोकल विश्वविद्यालय के दीपक गोयल के जरिए देने की बात सामने आई है। उल्लेखनीय है कि हाजी इकबाल शासन द्वारा चिन्हित 66 माफिया की फेहरिस्त में शामिल है और बीते तीन साल से फरार है।



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