'हिंदी हैं हम' शब्द श्रृंखला में आज का शब्द है- मुद्रा, जिसका अर्थ है- किसी के नाम की छाप, मोहर, रुपया, अशरफी आदि, सिक्का, खड़ा होने, बैठने आदि में शरीर के अंगों की कोई स्थिति। प्रस्तुत है गगन गिल की कविता- अँधेरे में बुद्धअँधेरे में बुद्ध
अपनी प्रतिमा से निकलते हैंअपनी काया से निकलते हैं
अपने स्तूप से निकलते हैं
अस्थि-पुंज से निकलते हैंअँधेरे में बुद्ध
परिक्रमा करते हैं
माया की
मोक्ष की
पृथ्वी कीकाँटे की नोंक पर
ठिठकते हैं
अँधेरे में बुद्धआगे पढ़ेंदुख उनके लिए है
जो उसे मानते हैं
दुख उनके लिए भी है
जो उसे नहीं मानते हैंसिर नवाते हैं
अँधेरे में बुद्धअगरबत्ती जलाते हैं
सामने उसके
जो है
जो नहीं हैएक मुद्रा से दूसरी मुद्रा तक
एक प्रतिमा से दूसरी प्रतिमा तक
अँधेरे में बुद्ध
अपनी जगह बदलते हैं
जैसे उनकी नहीं
दुख की जगह हो
7 hours ago