मृतक एएमयू छात्र आलमगीर
– फोटो : फाइल फोटो
विस्तार
एएमयू के बहुचर्चित बीएसडब्ल्यू छात्र आलमगीर हत्याकांड में गवाह पक्षद्रोही होने का लाभ आशुतोष-शादाब को भी मिला है। अपर सत्र न्यायालय ने दोनों को बरी कर दिया। इस हत्याकांड में एक आरोपी रेहान पहले बरी हो चुका है, जबकि मुख्य आरोपी कुख्यात शूटर मुनीर की मौत हो चुकी है। बता दें कि इस हत्याकांड के बाद एएमयू में जमकर बवाल हुआ था और छात्रों की जिद के चलते बिना पोस्टमार्टम के लिए शव सहारनपुर ले जाया गया था। जहां उसे बिना पोस्टमार्टम के ही दफन किया गया।
यह घटना 18 सितंबर 2015 की दोपहर करीब साढ़े तीन बजे की है। वादी मुकदमा सहारनुपर के चिलकाना रोड अजीज कालोनी निवासी जहांगीर आलम ने सिविल लाइंस में दर्ज कराया। कहा कि उनका छोटा भाई 24 वर्षीय आलमगीर एएमयू बीएसडब्ल्यू अंतिम वर्ष का छात्र था और बीएम हॉल में रहता था। घटना वाले दिन वह कैंपस में कंप्यूटर सेंटर के सामने से गुजर रहा था। तभी बाइक सवार अपराधी मुनीर निवासी सहसपुर बिजनौर, रेहान आजमी निवासी इकरा रोड मूल निवासी आजमगढ़, शादाब निवासी बिलरियागंज आजमगढ़ व अन्य अज्ञात ने उसको ताबड़तोड़ कई गोलियां मारीं, जिसकी बाद में मेडिकल कॉलेज में मौत हो गई।
यह घटना उन्होंने जेल में निरुद्ध पूर्व एएमयू छात्र आशुतोष मिश्रा निवासी पुष्पराज चौराहा सिविल लाइंस फैजाबाद से जेल में मुलाकात कर उसके साथ साजिश रचकर की है। आरोप लगाया कि दो वर्ष पूर्व आशुतोष ने आलमगीर पर हमला किया था, जिसमें कादिर के गोली लगी थी। साथ में यह भी कहा कि एएमयू प्रॉक्टर टीम के साथ आलमगीर एएमयू नॉन टीचिंग स्टाफ क्लब की रेड में रहा था, जहां से कुछ अपराधियों को पकडक़र पुलिस के पास भेजा गया था। उससे जुड़े अपराधियों का भी इस हत्या में हाथ है। मुकदमे के अनुसार जहांगीर को यह सभी जानकारियां फोन पर सूचना मिलने के बाद अलीगढ़ आने पर उसके दोस्तों ने दी। इसी आधार पर मुकदमा दर्ज कराया।
मामले में पुलिस ने बिना पोस्टमार्टम प्रक्रिया के चार्जशीट दायर की। न्यायालय में सत्र परीक्षण के दौरान कोई चश्मदीद साक्षी गवाही नहीं दे सका। पुलिस ने जिसे चश्मदीद साक्षी बनाया था। वह अदालत में पक्षद्रोही हो गया। इस आधार पर 7 मार्च 2018 को एक आरोपी रेहान बरी कर दिया गया। उसी आधार पर अब शादाब व आशुतोष को बरी किया गया है। मुनीर की मौत हो चुकी है। इस निर्णय की पुष्टि एडीजीसी चमन प्रकाश शर्मा ने करते हुए बताया कि गवाह पक्षद्रोही हुए हैं। फिर भी अपील के आधार पर अध्ययन किया जाएगा।
इस तरह हुई गवाही प्रक्रिया
इस मुकदमे में पहले गवाह के रूप में वादी आलमगीर का भाई रहा। जिसने स्वीकारा कि उसे फोन पर उसके साथियों से सूचना मिली। तब सहारनपुर से यहां आए और दोस्तों के बताए अनुसार तहरीर देकर शव ले गए। उन्होंने घटना नहीं देखी। दूसरा गवाह एएमयू प्रॉक्टर कार्यालय का कर्मी खालिद खान, तीसरा एएमयू छात्र डा.मलमान, चौथा मेडिकल केजुअल्टी ऑफिसर डा.निसार अहमद, पांचवां आलमगीर का साथी छात्र अयाज खां, छठवां विवेचक इंस्पेक्टर सूर्यकांत द्विवेदी थे। इनमें से पुलिस द्वारा चश्मदीद बनाए गए अयाज खां ने खुद के मौके पर न होने की गवाही न्यायालय में दी। इस पर उसे पक्षद्रोही घोषित किया गया।