हिंदी सिनेमा की चर्चित अभिनेत्री नुसरत भरूचा के इस्राइल के शहर हाइफा में गोलीबारी के बीच फंस जाने की खबर से फिल्मों में दिलचस्पी रखने वाले रविवार सुबह से परेशान रहे। नुसरत के बारे में लगातार आ रहे अपडेट्स पर उनकी नजर रही और आखिरकार जब वह दोपहर बाद मुंबई लौट आईं तो लोगों ने राहत की सांस ली। नुसरत वहां गई थीं हाइफा फिल्म फेस्टिवल में हिस्सा लेने। हाइफा का हिंदुस्तान से बहुत ही पुराना रिश्ता रहा है। और, इतिहास के पन्नों में हाइफा की लड़ाई में भारतीयों की बहादुरी के ढेरों किस्से मौजूद हैं।
प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान हुई एक भीषण लड़ाई हुई थी 23 सितंबर 1918 को इजरायल की मशहूर जगह हाइफा में। जर्मनी, ऑस्ट्रिया और उनकी सहयोगी सेनाओं ने इजरायल के शहर हाइफा पर कब्जा करने की ठान ली थी। लेकिन, हिंदुस्तान के जोधपुर, मैसूर और हैदराबाद से पहुंचे घुड़सवारों ने ढाल, बरछों और बल्लम के सहारे पहाड़ी की चढ़ाई चढ़ते हुए न सिर्फ इन आक्रांताओं को मार भगाया बल्कि हाइफा पर हिटलर का कब्जा होने से भी बचा लिया।
आधुनिक इतिहास के सबसे गौरवशाली युद्धों में गिने जाने वाले बैटल ऑफ हाइफा के बारे में बताते हैं कि उस दिन हिंदुस्तानी फौजियों ने दुनिया को अपना मनोबल, रणनीति और कौशल दिखा दिया था। हुआ यूं था कि इजरायल में हाइफा की पहाड़ियों पर स्थित किले पर कब्जा करने जर्मनी, ऑस्ट्रिया और उनकी सहयोगी सेना पहुंच चुकी थीं। सैकड़ों की तादाद में जुटे इन सैनिकों के पास आधुनिक मशीन गन, तोपें और तमाम असलहा बारूद था। उधर, इजराइल की मदद के लिए पहुंची भारतीय टुकड़ी में जोधपुर लांसर्स, मैसूर लांसर्स और हैदराबाद लांसर्स के घुड़सवार फौजियों के पास हथियारों के नाम पर सिर्फ बरछे और भाले ही थे।
इन मुट्ठी भर घुड़सवार फौजियों ने इस व्यूह रचना के साथ पहाड़ी पर चढ़ना शुरू किया कि ऊपर से बरसाई जा रही गोलियों से ये लगातार बचते बचाते ऊपर तक पहुंच गए। अपने भालों और बरछों से इन्होंने तमाम दुश्मनों को मार गिराया और बाकियों को वहां से खदेड़ दिया। हाइफा शहर के सबसे महत्वपूर्ण चौक पर अब भी इन घुड़सवार फौजियों की याद में एक स्मारक बना हुआ। बैटल ऑफ हाइफा की कहानी इजराइल की स्कूलों के पाठ्यक्रमों में भी तभी से शामिल रही है।
इस लड़ाई पर भारत और इजरायल ने मिलकर बीते साल एक मेगा बजट फिल्म बनाने का भी एलान किया था। इस फिल्म के निर्माण में शामिल गोल्डन रेशियो फिल्म्स के अध्य़क्ष अश्विनी चौधरी कहते हैं, ‘फिल्म ‘हीरोज ऑफ हाइफा’ हमारी अंतर्राष्ट्रीय उड़ान का नया आसमान है। ये फिल्म इतिहास में खोई एक कहानी के उन रंगों को फिर से आज की पीढ़ी के सामने पेश कने जा रही है, जिन्हें देखकर आज की युवा पीढ़ी उत्साह, उल्लास और उमंग से भर जाएगी। ये एक प्रेरणादायक कहानी है और इन फौजियों की बहादुरी के किस्से आज के समय में बताने बहुत जरूरी हैं।’