उर्स-ए-रजवी: आला हजरत ने चार साल की उम्र में पढ़ ली थी कुरान, सात साल में रखा पहला रोजा

उर्स-ए-रजवी: आला हजरत ने चार साल की उम्र में पढ़ ली थी कुरान, सात साल में रखा पहला रोजा


संवाद न्यूज एजेंसी, बरेली

Updated Sun, 10 Sep 2023 12:58 PM IST

सार

बरेली में आला हजरत इमाम अहमद रजा खां फाजिले बरेलवी का 105वां उर्स-ए-रजवी मनाया जा रहा है। आला हजरत को बचपन से ही मजहबी माहौल मिला। नाम मोहम्मद अहमद रखा गया। वे बहुत से इल्म व फन के माहिर थे।

Ala Hazrat Read the Quran at the four year old in Bareilly

आला हजरत दरगाह
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


बरेली जैसे छोटे शहर में रहकर आला हजरत ने जिस तरह पूरी दुनिया में अपनी पहचान बनाई वह एक मिसाल है। दरगाह आला हजरत के प्रवक्ता नासिर कुरैशी ने बताया कि शहर-ए-बरेली की दुनिया भर में अलग पहचान कराने वाली शख्सियत आला हजरत इमाम अहमद रजा खान फाजिले बरेलवी की पैदाइश बरेली के मोहल्ला जसोली (अब जखीरा) में अपने वक्त के मशहूर मुफ्ती नकी अली खान के यहां 14 जून 1856 ईसवी यानी 10 शव्वाल 1272 हिजरी को हुई। 

ये भी पढ़ें– उर्स-ए-रजवी: अजमेर के संदल और केवड़े से महकी आला हजरत दरगाह, लगाया गया चांदी का द्वार

आला हजरत को बचपन से ही मजहबी माहौल मिला। नाम मोहम्मद अहमद रखा गया। वे बहुत से इल्म व फन के माहिर थे। 1860 ईसवी में मात्र चार साल की उम्र में कुरान का नाजरा कर लिया (पढ़ लिया था)। तकरीबन सात साल की उम्र में पहला रोजा रखा। यह सिलसिला दुनिया से कूच करने तक जारी रहा। 



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