फिल्म ‘प्यासा’ की गिनती विश्व सिनेमा की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में होती है। इस फिल्म का निर्माण-निर्देशन गुरु दत्त साहब ने किया था। और, फिल्म में लीड भूमिका भी गुरु दत्त साहब ने ही निभाई। फिल्म की शूटिंग की तैयारी चल ही रही थी तभी फिल्म के लेखक अबरार अल्वी और गुरु दत्त के बीच किसी बात को लेकर अनबन हो गई और गुरु दत्त ने फिल्म बनाने का ख्याल छोड़ दिया।
दरअसल, उन दिनों गुरु दत्त, अबरार अल्वी, जॉनी वॉकर और अभिनेता रहमान की चौकड़ी हुआ करती थी। गुरु दत्त साहब की फिल्मों में कोई रहे या ना रहे इन चार लोगों की चौकड़ी रहती ही थी। जॉनी वॉकर ने पहली बार गुरु दत्त साहब की फिल्म ‘बाजी’ में छोटा सा एक शराबी का किरदार निभाया था। जॉनी वॉकर के काम से गुरु दत्त साहब पहली ही फिल्म में इतने प्रभावित हुए कि जॉनी वॉकर उनकी फिल्मों के परमानेंट एक्टर बन गए, लेकिन जब अबरार अल्वी ने ‘प्यासा’ की स्क्रिप्ट लिखी तो उसमें जॉनी वॉकर का कोई किरदार नहीं था।
फिल्म ‘प्यासा’ की स्क्रिप्ट पढ़ने के बाद गुरु दत्त साहब ने अबरार अल्वी से पूछा कि इसमें तो जॉनी का रोल ही नहीं है। जॉनी का रोल तो होना चाहिए। आज का कोई लेखक होता तो तुरंत हीरो की बात मान लेता और जब फिल्म का हीरो ही निर्माता-निर्देशक हो तो ना कहने का सवाल ही पैदा नहीं होता। लेकिन अबरार अल्वी कहा कि इसमें कॉमेडी का कोई स्कोप नहीं, यह बहुत हैवी (गंभीर) फिल्म है। अगर आप जबरदस्ती किरदार घुसाएंगे तो तो मेरी कहानी खराब हो जाएगी। गुरु दत्त साहब ने कहा, निर्माता-निर्देशक मैं हूं और फिल्म में मुझे जॉनी चाहिए।
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लेकिन अबरार अल्वी अपनी बात पर अड़े रहे हैं। उन्होंने कहा कि कहानी तो मैंने लिखी है, जबरदस्ती किरदार घुसा कर अपनी कहानी खराब नहीं करूंगा। गुरु दत्त साहब ने कहा कि अगर ‘प्यासा’ में जॉनी वॉकर नहीं है, तो मैं यह फिल्म नहीं बना सकता। इस बात को लेकर गुरु दत्त साहब और अबरार अल्वी के बीच खूब बहस हुई। लेकिन अबरार अल्वी बिल्कुल भी इस बात के लिए राजी नहीं थे कि फिल्म में कॉमेडी ट्रैक डाला जाए। उन दिनों गुरु दत्त साहब कलकत्ता ( कोलकाता ) में किसी फिल्म की शूटिंग कर रहे थे और वहां पर गुरु दत्त और अबरार अल्वी के अलावा जॉनी वॉकर और रहमान भी थे।
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उसी शाम होटल के नीचे बेंच पर बैठकर चारों लोग चाय पी रहे थे। तभी पीछे से आवाज आई , मालिश तेल चम्पी। गुरु दत्त साहब पलटे और तेल मालिश वाले की तरफ देखा। उन्होंने जॉनी वॉकर से कहा कि जॉनी ये कैरेक्टर पकड़ो। गुरु दत्त साहब ने अबरार अल्वी को समझाया कि जिस तरह से आदमी थक जाता है और उसकी मालिश कर दी जाए तो उसकी थकान दूर हो जाती है, उसी तरह से आपकी हैवी फिल्म में तेल मालिश वाला किरदार पब्लिक को रिलेक्स देगी। और इस तरह बना गाना ‘सर जो तेरा चकराए या दिल डूबा जाए..’ और इस तरह फिल्म में एंट्री हुई जॉनी वाकर की।
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