चीता
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भारत में चीतों को फिर से बसाने की योजना सफल होती दिख रही है। सरकार की एक रिपोर्ट में ये दावा किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीता प्रोजेक्ट सफल होने की राह पर है और कम अवधि की सफलता के लिए तय किए गए छह मानदंडों में से चार पूरे हुए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रोजेक्ट की प्रारंभिक प्रगति उम्मीदों के अनुरूप है।
चीता प्रोजेक्ट को एक साल पूरा
बता दें कि देश में चीतों की विलुप्ति के कई दशकों के बाद बीते साल फिर से चीतों को बसाने का प्रोजेक्ट शुरू किया गया। इस प्रोजेक्ट की शुरुआत बीते साल 17 सितंबर को पीएम मोदी ने की थी। प्रधानमंत्री ने नामीबिया से लाए गए चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा था। उसके बाद से ही दुनियाभर के जंगल विशेषक्ष और पर्यावरविद् इस प्रोजेक्ट पर करीब से नजर रख रहे हैं। अब प्रोजेक्ट को एक साल पूरा होने पर सरकार की तरफ से एक रिपोर्ट तैयार की गई है।
छह में से चार मानदंडों पर खरा उतरा प्रोजेक्ट
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि चुनौतियां भी बहुत हैं, लेकिन भारत, नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका के अधिकारियों और मैनेजर्स के प्रयासों और तीनों देशों के शीर्ष कार्यालयों के प्रयासों से चीतों को भारत में बसाने का प्रोजेक्ट सफल होने की राह पर है। प्रोजेक्ट की शुरुआत में चीता एक्शन प्लान बनाया गया था। इसके तहत प्रोजेक्ट की सफलता के लिए छह मानदंड तय किए गए थे। जिनमें भारत लाए गए चीतों में से 50 प्रतिशत के जीवित रहने, कूनो नेशनल पार्क में होम रेंज स्थापित करने, चीतों का सफल प्रजनन, पैदा हुए शावकों को जीवित रखने जैसे लक्ष्य तय किए गए थे। साथ ही चीतों से समुदाय की आजीविका में योगदान का भी लक्ष्य तय किया गया था।
छह चीतों की हो चुकी है मौत
सरकारी रिपोर्ट में कहा गया है कि इन मानदंडों में से चार पूरे हुए हैं। जिनमें 50 फीसदी चीतों का जीवित रहना, कूनो में होम रेंज की स्थापना, कूनो नेशनल पार्क में चीतों का प्रजनन और स्थानीय समुदाय की आय में बढ़ोतरी और आसपास के इलाकों की जमीन की कीमत बढ़ने जैसे लक्ष्य हासिल हुए हैं। प्रोजेक्ट के तहत नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से 20 चीते लाए गए थे। मार्च के बाद से छह व्यस्क चीतों की विभिन्न कारणों से मौत हो चुकी है। वहीं कूनो में पैदा हुए चार शावकों में से तीन भी मर चुके हैं और बचे हुए एक शावक को मानवीय देखभाल में पाला जा रहा है।