खबरों के खिलाड़ी।
– फोटो : Amar Ujala
विस्तार
इस हफ्ते बहुत कुछ नया हुआ। यह लोकतंत्र के लिए था। संसद की नई इमारत के साथ नई शुरुआत हुई। एक ऐतिहासिक विधेयक से नारी शक्ति के वंदन की बात हुई। इन सभी उपलब्धियों की चर्चा खत्म भी नहीं हुई थी कि भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी के एक बयान ने देश में राजनीतिक तूफान ला दिया। उनके बयान पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह खेद जता चुके हैं। वहीं, विपक्ष लगातार इस पर हमलावर है। बसपा सांसद दानिश अली इसे लेकर लोकसभा अध्यक्ष को शिकायती पत्र लिख चुके हैं। इसमें वो सांसदी छोड़ने तक की बात कह रहे हैं।
बिधूड़ी के बयान के मुद्दे पर चर्चा के लिए खबरों के खिलाड़ी की इस नई कड़ी में हमारे साथ वरिष्ठ विश्लेषक समीर चौगांवकर, राखी बख्शी, प्रेम कुमार, गुंजा कपूर और अवधेश कुमार मौजूद रहे। आइए जानते हैं विश्लेषकों की राय….
समीर चौगांवकर
मुझे इस बात की खुशी थी कि महिला आरक्षण बिल के लिए यह विशेष सत्र याद किया जाएगा। इसके साथ ही मुझे इस बात का दुख भी रहेगा कि यह सत्र रमेश बिधूड़ी के बयान के लिए भी याद किया जाएगा। 2014 के लोकसभा चुनाव में जीत के बाद बिधूड़ी सांसद बने थे। उस कार्यकाल में भी वे संसद में इस तरह का बयान दे चुके हैं। तब उन्होंने राजद सांसद पप्पू यादव को आतंकवादी कहा था। तब उस वक्त की लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने कहा था बिधूड़ी से इससे बेहतर की उम्मीद नहीं की जा सकती। ये पार्टी को देखना होगा कि उन पर क्या कार्रवाई की जाती है।
मुझे लगता है कि रमेश बिधूड़ी को तत्काल माफी मांगनी चाहिए थी। इसके साथ ही मैं कहूंगा कि किसी एक व्यक्ति की बात को पूरी पार्टी की विचारधारा नहीं मानना चाहिए। भाजपा को अपने सांसदों और पदाधिकारों को यह स्पष्ट हिदायत देनी चाहिए कि भाजपा जिस चाल, चरित्र, चेहरे की बात करती है, उसे ध्यान में रखकर ही उन्हें अपनी बात रखनी है। मैं सभी पार्टियों से कहूंगा कि अगर आप किसी नेता को संसद में भेजते हैं तो या तो उनके प्रशिक्षण की व्यवस्था करें या तो उन्हें पहले से यह बताकर भेजें कि संसद में किस तरह बोलना चाहिए।
अवधेश कुमार
मैं नहीं मानता कि इस तरह के बयान के बाद लोकसभा अध्यक्ष कोई पक्षपात करेंगे। मेरा मानना है कि कितनी भी उत्तेजना की बात हो, आपको अंतिम अवस्था तक संतुलन बनाए रखना चाहिए। इस तरह की भाषा अगर संसद में प्रयोग होने लगे तो सड़क पर क्या होगा, लेकिन यह भी विचार करने की जरूरत है कि परिस्थितियां क्या बनती हैं। हमारे समाज में सुधार की कोशिश खत्म हो रही है। मैं ये कहना चाहता हूं कि इस तरह की शर्मनाक घटना की पुनरावृत्ति कभी नहीं हो, इसकी व्यवस्था होनी चाहिए।
प्रेम कुमार
निश्चित रूप से यह देखना होगा कि हम इसे किस रूप में देखते हैं। जो सड़कछाप भाषा होती है, वह भी व्यक्तिगत होती है, लेकिन संसद में जो बात बोली गई है, वो पूरे समुदाय के लिए बोली गई है। रमेश बिधूड़ी ने जो बोला है, वो पूरे समुदाय के खिलाफ बोला है। कहा जा रहा है कि भाजपा ने नोटिस दे दिया है। नोटिस तो साध्वी प्रज्ञा को भी दिया गया था। क्या उन्होंने उसके बाद उस तरह के बयान नहीं दिए? बिलकुल दिए। यह पार्टी के चरित्र को बताता है। अगर पार्टी का यह चरित्र नहीं है तो उसे इसके लिए प्रयास करना होगा। उसके इन प्रयासों से यह साबित होना चाहिए कि यह पार्टी का चरित्र नहीं है। इस तरह के अपराध पर पर्देदारी करना गलत है।
राखी बख्शी
यह बयान अमर्यादित है। एक सांसद का दूसरे सांसद के खिलाफ इस तरह की बात कहना पूरी तरह से गलत है। दो बाते हैं। एक तरफ आप चंद्रयान-3 और महिला आरक्षण की बात कर रहे है, दूसरी तरफ इस तरह का बयान आता है। यह पूरी तरह से विरोधाभासी है। दूसरी बात यह कि सजा क्यों जरूरी होती है? क्योंकि इससे सुधार आता है। बहुत से सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा है। अब देखना होगा कि इस पर क्या कार्रवाई होती है।
गुंजा कपूर
विपक्ष की बहुत सारी अपेक्षाएं हो सकती हैं कि रमेश बिधूड़ी पर कार्रवाई हो। मैं तो कहूंगी कि रमेश बिधूड़ी के खिलाफ विपक्ष को ऐसे उम्मीदवार को उतारना चाहिए, जिससे वो जीतकर न आ सकें। एक बात हमें ध्यान रखनी चाहिए कि हमारा लोकतंत्र केवल 75 साल पुराना है। अमेरिका जैसे देशों के मुकाबले अभी भी यह बहुत नया है। जैसे-जैसे यह लोकतंत्र और परिपक्व होगा, इस तरह की चीजें और आएंगी। हमें इसे ज्यादा तूल नहीं देना चाहिए। यह पार्टी पर निर्भर है कि वो उन पर क्या कार्रवाई करती है।