खुलासा: एक्सप्रेसवे शुरू होने से पहले किसानों से खरीद ली गईं थी जमीनें, नोटबंदी के दौरान हुआ था सौदा

खुलासा: एक्सप्रेसवे शुरू होने से पहले किसानों से खरीद ली गईं थी जमीनें, नोटबंदी के दौरान हुआ था सौदा



लखनऊ आगरा एक्सप्रेस वे

विस्तार


काकोरी के कठिंगरा गांव की जमीनों को खरीदने वाली रियल एस्टेट कंपनी पिनटेल और अमरावती ग्रुप की आयकर विभाग की जांच में नया खुलासा हुआ है। पता चला है कि आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे का निर्माण शुरू होने के साथ ही दोनों रियल एस्टेट कंपनियों ने कठिंगरा गांव के किसानों से संपर्क कर जमीनें खरीदने के लिए एग्रीमेंट करना शुरू कर दिया था। किसानों को तब तक अंदाजा भी नहीं था कि उनकी जमीनों की कीमत कई गुना ज्यादा होने वाली हैं।

दरअसल आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे का निर्माण करने के लिए काकोरी के 13 गांवों की जमीन का अधिग्रहण किया गया था। इनमें आदमपुर, इंदरवारा, गहरवारा, रेवरी, नट्टौरा, कठिंगरा, अजमल नगर, बड़ा गांव, भेलिया, जतियामऊ, करीमाबाद, महमूदपुर, बहरन और सरोसा भरोसा शामिल थे। ले-आउट प्लान के मुताबिक कठिंगरा गांव में एक्सप्रेसवे का अंडरपास बनना था। इसके बाद इस गांव के आसपास की जमीनों की कीमतों में कई गुना का इजाफा होना तय था। 

राज्य सरकार की अधिग्रहण प्रक्रिया पूरी होने के बाद दोनों रियल एस्टेट कंपनियों ने इस गांव की जमीनों को खरीदना शुरू कर दिया।नतीजन, नवंबर 2016 में एक्सप्रेसवे का शुभारंभ होने से पहले अधिकतर जमीनों को खरीद लिया गया। वहीं नोटबंदी कंपनियों के लिए सुनहरा मौका लेकर आई। इस दौरान किसानों को उनकी जमीन की बची हुई कीमत के बदले में पुराने नोट थमा आनन-फानन में रजिस्ट्री करा ली गईं। अधिकारियों को शक है कि इन जमीनों को खरीदने में तमाम राजनेताओं और ब्यूरोक्रेट्स की काली कमाई का इस्तेमाल किया गया, जिसे नोटबंदी होने के बाद ठिकाने लगाने की होड़ मची थी।

अचानक बनाई तीन दर्जन कंपनियां

जांच में सामने आया कि वर्ष 2016 से पहले रियल एस्टेट कारोबार में पिनटेल और अमरावती ग्रुप किसी बड़े प्रोजेक्ट पर काम नहीं कर रहे थे। अचानक वर्ष 2017 से 2021 तक तीन दर्जन से ज्यादा कंपनियां बनाने के साथ लखनऊ में करीब 4000 करोड़ रुपये के रियल एस्टेट प्रोजेक्ट शुरू हो गए। दोनों कंपनियों ने अधिकतर जमीनें आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे और पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के समीप किसानों को मुंहमांगी कीमत देकर खरीद ली। जब कंपनियों के निदेशकों से इन प्रोजेक्ट्स में लगाई गई पूंजी के स्रोत के बारे में पूछताछ की गई तो वे कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। इसी तरह कठिंगरा गांव की जमीनों को खरीदने लेकर हुई पूछताछ से भी बचते रहे। इससे इन संपत्तियों के बेनामी होने की पुष्टि हो गई। तत्पश्चात सभी 70 सेल डीड की सैकड़ों बीघा जमीन को जब्त कर लिया।



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