सांकेतिक तस्वीर।
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असलहों की तस्करी के लिए अब तस्करों ने ट्रेन को नया ठिकाना बनाया है। पुलिस की सख्ती के बाद सड़क के रास्ते असलहों की तस्करी में अब खतरे ज्यादा हैं, जबकि ट्रेन में भीड़ होने से कोई शक नहीं कर पाता। यही नहीं, पुलिस को सुराग मिले हैं कि छात्रों के भेष में बदमाश असलहों की तस्करी कर रहे हैं। उनकी पीठ पर पिट्ठू बैग होता है, जिससे यात्री उन्हें छात्र ही मानते हैं और पुलिस भी शक नहीं करती।
इससे उनके पकड़े जाने का डर भी कम रहता है। तस्कर, भीड़ के बीच बड़ी आसानी से बैग लेकर बैठ जाते हैं। ऐसे कई मामले पकड़ में आ चुके हैं। गोरखनाथ मंदिर गेट पर जांच के दौरान बैग से जो तमंचा मिला था, वह भी ट्रेन के जरिए ही आया। यह अलग बात है कि तस्करों के बैग को व्यापारी के बेटे ने उठा लिया। पुलिस ने अब जीआरपी व आरपीएफ को पत्र भेजा कर सतर्क किया है।
ट्रेनों में पकड़े गए तस्करों से ही पुलिस को पता चला है कि भीड़ का फायदा उठाकर वे आसानी से असलहा पहुंचा देते हैं। वाराणसी में पकड़े गए तस्करों ने पुलिस को बताया था कि ट्रेन में वे ज्यादा असलहा एक साथ नहीं ले जाते। दो से तीन की संख्या में वे होते हैं। कम उम्र के युवाओं को ही इस काम के लिए लगाया जाता है। बैग में एक या दो की संख्या में तमंचे ही रखते हैं। ताकि, पिट्ठू बैग में आसानी से रखकर चले जाएं। तस्कर टिकट लेकर ही यात्रा करते हैं, ताकि किसी को शक न होने पाए। यही नहीं, वे स्टेशन में प्रवेश करते ही प्लेटफॉर्म टिकट जरूर लेते हैं।
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