बैडमिंटन स्टार आदित्या यादव।
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गोरखपुर शहर की बैडमिंटन सनसनी आदित्या यादव न तो बोल सकती है, न ही सुन सकती है, लेकिन उसके रैकेट की गूंज अब पूरी दुनिया में सुनाई दे रही है। अपनी मेहनत और परिवार के लोगों और दोस्तों की प्रेरणा ने उसे कम उम्र में ही बुलंदी पर पहुंचा दिया है।
आदित्या, तीन भाई-बहनों में सबसे छोटी है। मां अंकुर यादव बताती हैं कि जब वह ढाई साल की हुई तब पता चला कि न तो वह बोल सकती है और न ही सुन सकती है। गोरखपुर के बाद दिल्ली एम्स में भी बेटी का इलाज कराया। दादा शिवचंद यादव, दादी भगवती देवी, माता अंकुर यादव और पिता दिग्विजयनाथ यादव ने उसे दिव्यांगता का एहसास नहीं होने दिया।
पिता दिग्विजयनाथ यादव रेलवे टीम के बैडमिंटन कोच हैं, वे चार साल की उम्र से बेटी को बैडमिंटन का प्रशिक्षण दिलाने लगे। स्कूली शिक्षा के लिए राजेंद्र नगर स्थित मूक-बधिर विद्यालय में दाखिला करा दिया गया। भाई अविरल और बहन पल्लवी ने आदित्या का पूरा साथ दिया।
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