marriage विवाह
– फोटो : फाइल फोटो
विस्तार
चातुर्मास में सृष्टि के पालनहार कहे जाने वाले भगवान विष्णु क्षीरसागर में आराम करते हैं। ऐसे में 29 जून से लेकर 23 नवंबर तक यानी 148 दिनों तक शादी-ब्याह समेत किसी भी तरह के मांगलिक कार्य नहीं होंगे।
ऐसी मान्यता कि श्रावण मास में भगवान शिव की आराधना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। भगवान शिव का प्रिय सावन का महीना गुरुवार से शुरू होगा। क्षेत्र के शिवालय सफाई और रंग रोगन के बाद सज धज कर तैयार हैं। चतुर्मास का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है। ज्योतिषाचार्य के मुताबिक चतुर्मास आषाढ़ मास शुक्ल पक्ष की एकादशी से शुरू होकर कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि तक रहता है। इस वर्ष चतुर्मास 29 जून गुरुवार से शुरू होगा। इस दिन देवशयनी एकादशी भी है। चातुर्मास 23 नवंबर को देवोत्थान एकादशी पर समाप्त होगा।
चातुर्मास 29 जून गुरुवार से शुरू हो रहा है। इस वर्ष चातुर्मास चार नहीं बल्कि पांच माह का होगा। चातुर्मास में इस बार सावन दो माह का होगा। इसलिए चातुर्मास में सीधे एक माह का इजाफा हो रहा है। मान्यता के अनुसार पूरे महीने हर-हर महादेव और नम: शिवाय की गूंज चारों तरफ सुनाई देगी। श्रद्धालु बड़ी संख्या में शिवालयों में जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करते नजर आएंगे।
ज्योतिषाचार्य पंडित आशुतोष पांडेय ने बताया कि समस्त मांगलिक कार्य भगवान विष्णु के जागृत अवस्था में ही किए जाते हैं। इस समय विष्णु भगवान के शयन करने से विवाह, वर वरण, कन्या वरण, गृह प्रवेश, उपनयन संस्कार, शिवजी को छोड़कर देव प्रतिष्ठा, महायज्ञ का शुभारंभ, राज्याभिषेक, कर्णवेध, मुंडन कार्यों का निषेध किया गया है। लेकिन, कुछ कार्य इस समय भी किए जाते हैं। इनमें पुंसवन, प्रसूति स्नान, इष्टिका दहन, नामकरण, अन्नप्राशन, व्यापार आरंभ किए जा सकते हैं।
उन्होंने बताया कि 29 जून को हरिशयनी एकादशी है। इस दिन स्वाती नक्षत्र दिन में १:१० बजे तक, पश्चात विशाखा नक्षत्र, सिद्ध योग भी संपूर्ण दिन और अर्ध रात्रि के बाद 1.27 बजे तक है। इस दिन सुस्थिर नामक औदायिक योग भी है। सूर्योदय कालीन एकादशी होने से विष्णु शयनी एकादशी इसी दिन मान्य रहेगा। यह महत्वपूर्ण एकादशी है, क्योंकि इसी दिन से विवाहादि समस्त महत्वपूर्ण मांगलिक कार्य पर रोक लग जाएगी।