हिंदी सिनेमा में अभिनेता परेश रावल की गिनती उन सितारों में होती है जो अपने सहज अभिनय से काल्पनिक किरदारों में जान फूंक देते हैं। फिल्म ‘अंदाज अपना अपना’ का तेजा, और फिल्म ‘हेराफेरी’ का बाबूराव गणपतराव आप्टे उनके दो सबसे लोकप्रिय किरदार रहे हैं। लेकिन, परेश ने एक लंबा सफर हिंदी सिनेमा में खलनायकों के किरदार करते हुए भी तय किया है। वह मानते हैं कि हिंदी सिनेमा एक भेड़चाल से चलता है, यहां एक बार जो किसी किरदार में चल पड़ा तो बाकी सब निर्माता भी फिर वैसा ही कुछ करवाना चाहते हैं।
अगली फिल्म ‘आंख मिचौली’
सोनी पिक्चर्स की अरसे से बन रही फिल्म ‘आंख मिचौली’ जल्द रिलीज होने वाली है। फिल्म ‘ओह माय गॉड’ और ‘102 नॉट आउट’ बना चुके निर्देशक उमेश शुक्ला की ये अगली फिल्म है। परेश बताते हैं, ‘उमेश शुक्ला ये विषय मेरे पास लेकर कोरोना संक्रमण काल के पहले आए थे। हमने इस पर लंबी चर्चा की और फिर जब बाकी सब कुछ फाइनल हो गया तो हमने कोई दो साल पहले इसकी शूटिंग पूरी कर ली थी। फिर किसी न किसी वजह से ये फिल्म टलती रही लेकिन मैं तारीफ करना चाहूंगा इसे बनाने वालों के हौसले की जो इसे सिनेमाघरों मे ही रिलीज करने के अपने फैसले पर डटे रहे।’
सब भेड़चाल से चलते हैं
‘आंख मिचौली’ के ट्रेलर के हिसाब से फिल्म में परेश रावल का किरदार हास्य और व्यंग्य दोनों की कलाएं खेलता दिखता है। लेकिन, हिंदी सिनेमा में परेश रावल का नाम कभी दमदार खलनायकों में शुमार रहा है। परेश कहते हैं, ‘हां, मैंने तो शुरुआत ही इस तरह के किरदारों से की थी फिल्म ‘डकैत’ से। लेकिन, यहां क्या है कि एक बार कोई कलाकार किसी खास किरदार में चल पड़ा तो फिर सब उससे वही काम कराना चाहते हैं। भेड़चाल जैसी शुरू हो जाती है हमारे यहां।’
Kusha Kapila on Trolling: ‘रोने में बीत जाता था दिन…,’ तलाक की ट्रोलिंग पर छलका कुशा कपिला का दर्द
कलाकार को दायरे में बांधने वाले निर्देशक पसंद
और, एक बार किसी विधा पर पकड़ आ जाए तो फिर उसे बार बार दोहराना कितना सहज हो जाता है? या फिर अब भी परेश अपने हर हास्य किरदार पर उतनी ही मेहनत करते हैं जितनी कि उन्होंने बाबूराव जैसे किरदार करने में की थी? वह बताते हैं, ‘कॉमेडी एक टीम वर्क है। ये आसपास के कलाकारों की प्रतिक्रियाओं और उनके संवादों से सहज होता जाता है। रही बात मेहनत की तो मुझे तो राजकुमार संतोषी, प्रियन सर, उमेश शुक्ला जैसे निर्देशक पसंद आते हैं जो ऐसे मौकों पर कलाकारों को उनके दायरे में बांधे रखते हैं। नहीं तो क्या है कि कलाकार कई बार अभिनय करते करते किरदार की रौ में बह जाता है। और मेहनत की आपने बात की तो मुझे फिल्म ‘सरदार’ याद आ गई!’
Richa Chadha: ‘देव-डी’ के ऑडिशन में रिजेक्ट हो गई थीं ऋचा चड्ढा, अभिनेत्री ने वजह का किया खुलासा
पानी भी मुझे नली लगाकर पीना पड़ा
केतन मेहता निर्देशित फिल्म ‘सरदार’ साल 1994 में रिलीज हुई फिल्म है जिसमें परेश रावल ने भारत को एक गणतंत्र बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले नेता सरदार वल्लभ भाई पटेल की भूमिका निभाई। परेश कहते हैं, ‘क्या ही कमाल की ये फिल्म थी। विजय तेंदुलकर ने बहुत ही अच्छी पटकथा लिखी थी और केतन मेहता ने बनाई भी बहुत शानदार थी ये फिल्म। इस फिल्म के लिए जैसे ही मेरा नाम घोषित हुआ, ये समझिए कि हिंदी सिनेमा मे काम करने वाले सारे मेकअप आर्टिस्ट मेरे चेहरे पर टूट पड़े। प्रयोगशाला बनाकर रख दिया था मेरा चेहरा। छह छह घंटे मेरे चेहरे पर प्रयोग होते रहते। पानी भी मुझे नली लगाकार पीना पड़ता था।’
Leo: मल्टीप्लेक्स में हिंदी में रिलीज नहीं होगी दलपति विजय की ‘लियो’, निर्माता ने कारण बता बढ़ाई हलचल