प्रतीकात्मक तस्वीर
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कनाडा में आठ जनवरी से सेशन शुरू होने जा रहा है। पंजाब के 36 हजार विद्यार्थी दाखिला ले चुके हैं और 70 फीसदी विद्यार्थियों का वीजा आ चुका है और एयर टिकट बुक हो चुकी है, लेकिन कनाडा व भारत के बीच बिगड़ते रिश्तों से विद्यार्थियों में चिंता बढ़ गई है और नींद उड़ी हुई है।
अभिभावकों में इस बात की चिंता है कि अगर रिश्ते और बिगड़ गए तो बच्चों का क्या होगा? उनका साल खराब तो नहीं हो जाएगा? मौजूदा समय में कुल 2,09,930 भारतीय छात्र कॉलेजों में पढ़ रहे हैं जबकि 80,270 विश्वविद्यालय में पढ़ रहे हैं। कनाडा कॉलेजों को डिप्लोमा देने वाले संस्थानों के रूप में परिभाषित करता है जबकि विश्वविद्यालय स्नातक, मास्टर और डॉक्टरेट डिग्री देते हैं।
नागरिकता व इमिग्रेशन पर स्थायी समिति व इमिग्रेशन और शरणार्थी बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार ये छात्र कनाडा की अर्थव्यवस्था में प्रति वर्ष 22.3 बिलियन कनाडाई डॉलर से अधिक योगदान देते हैं।
इस बढ़ते राजनयिक संकट से कनाडा की शिक्षा प्रणाली पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की संभावना है, जो उच्च शिक्षा के लिए आप्रवासन करने वाले भारतीय छात्रों पर बहुत अधिक निर्भर है। वीजा एक्सपर्ट सुकांत के मुताबिक, भारतीय छात्र कनाडाई छात्रों की तुलना में दोगुना योगदान देते हैं और कॉलेज प्रणाली के लिए ओंटारियो सरकार की फंडिंग से थोड़ा अधिक योगदान देते हैं। पिछले कुछ सालों में, कनाडा में वैध अध्ययन वीजा के साथ देश में रहने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में वृद्धि देखी गई है।
कनाडा में जनवरी सेशन में जाने वाली सर्बजीत कौर का कहना है कि जनवरी से क्लास शुरू होनी है, उसका दाखिला कनाडा के वैंकुवर हो चुका है और टिकट बुक भी करवा ली है। अब अचानक कनाडा व भारत से बिगड़े रिश्तों में परिवार के तमाम सदस्य काफी तनाव में है। कुछ का मत है कि उन्हें कनाडा नहीं जाना चाहिए लेकिन 25 लाख खर्च हो चुके हैं, कॉलेज की फीस जा चुकी है।
टिकट बुक हो चुकी है, सब बेकार हो जाएगा। ग्रे मैटर की एमडी सोनिया धवन का कहना है कि भारत और कनाडा के बीच चल रही अशांति के बीच अनुमान लगाया जा रहा है कि पंजाब से हर साल 68,000 करोड़ रुपये की भारी पूंजी पलायन कर रही है।
पंजाब के छात्र कनाडा में भरते हैं 68,000 करोड़ फीस
भारत और कनाडा के बीच बढ़ते तनाव ने माता-पिता के बीच कनाडा में अपने बच्चों की शिक्षा में भारी निवेश को लेकर चिंता बढ़ा दी है। खालसा वॉक्स की शनिवार की रिपोर्ट के अनुसार, विश्लेषण से पता चला कि यह निवेश पंजाब से हर साल 68,000 करोड़ रुपये का है। खालसा वॉक्स के अनुसार, पिछले साल शरणार्थी और नागरिकता कनाडा (आईआरसीसी) के तहत कनाडा की ओर से कुल 226,450 वीजा स्वीकृत किए गए थे, और एक महत्वपूर्ण हिस्सा, लगभग 1.36 लाख छात्र पंजाब से थे। ये छात्र औसतन दो से तीन साल की अवधि वाले विभिन्न पाठ्यक्रम कर रहे हैं।
छात्र वीजा प्रसंस्करण एजेंसियों के वर्तमान आंकड़ों से पता चलता है कि लगभग 3.4 लाख पंजाबी छात्र वर्तमान में कनाडा के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ रहे हैं। खालसा वॉक्स के अनुसार, एसोसिएशन ऑफ कंसल्टेंट्स फॉर ओवरसीज स्टडीज के अध्यक्ष कमल भूमला ने कहा, हमारे पास उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर, कनाडा में प्रवास करने वाले लगभग 60 प्रतिशत भारतीय पंजाबी हैं, जिनमें अनुमानित 1.36 लाख छात्र हैं।
दिखने लगा असरः अब ऑस्ट्रेलिया, यूके व डेनमार्क जाने का बढ़ा रुझान
खालिस्तान टाइगर फोर्स के हरदीप सिंह निज्जर की कनाडा में हुई हत्या के बाद कनाडा प्रधानमंत्री द्वारा भारत के खिलाफ दिए बयान के बाद कनाडा व भारत के बिगड़े रिश्तों का प्रभाव कनाडा जाने वाले युवाओं पर पड़ना शुरू हो गया है। भारत की ओर से कनाडा को भारतीयों के लिए असुरक्षित देश घोषित किए जाने के बाद अब युवाओं का रुझान कनाडा की जगह यूके, ऑस्ट्रेलिया और डेनमार्क की तरफ बढ़ने लग गया है।
इमिग्रेशन विशेषज्ञ राजबीर सिंह ने कहा कि उनके पास पहले छात्र कनाडा के लिए अप्लाई करते थे। उनके पास माह में अगर 50 युवा विदेश जाने के लिए फाइल लगवाते थे तो उनके 40 से 43 कनाडा को पहल देते थे। वर्क परमिट और स्टडी वीजा भी कनाडा की डिमांड की जाती थी। दूसरे नंबर पर अरब देशों में वर्क परमिट की मांग होती थी। अब 55 प्रतिशत छात्रों की ओर से यूके व ऑस्ट्रेलिया में स्टडी वीजा की फाइलें लगवानी शुरू कर दी है। वहीं अरब देशों में भी वर्क वीजा की फाइलों की संख्या बढ़नी शुरू हो गई है।
हालांकि यूके में पीआर हासिल करनी मुश्किल है, बावजूद इसके युवा यूके जाने को अब पहल देने लग गए हैं। उधर इमिग्रेशन कंपनी चलाने वाले अमित कुमार शर्मा कहते हैं उनके पास पहले युवा कनाडा के वर्क और स्टडी की इन्क्वायरी के लिए आते थे। फाइल भी कनाडा की लगाने के लिए पहल करते थे। परंतु पिछले तीन दिनों से अस्सी प्रतिशत युवाओं ने ऑस्ट्रेलिया, यूके और डेनमार्क के लिए इन्क्वायरी लेनी शुरू कर दी है। इमिग्रेशन कारोबारी गगन दीप ने कहा कि उनके पास अब जो भी नए स्टूडेंट्स फाइल लगवाने आते हैं, उनकी पसंद न्यूजीलैंड और अस्ट्रेलिया है।