जेल में भाई को देख आंखों से आंसू रोक न सकी बहन
– फोटो : जेेल प्रशासन
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रक्षाबंधन पर बृहस्पतिवार को अलीगढ़ जेल के बाहर का नजारा जुदा था। सुबह से जेल के बाहर बहनें कतार में खड़ी नजर आईं। जैसे ही उनकी बारी आई तो चेहरे पर चमक छा गई। जेल के अंदर भाई को देखकर उनकी आंखें भर आईं। भाई भी डबडबाई आंखों से बहनों को निहार रहे थे। बहनें अपने भाइयों के गले लगकर खूब रोईं। एक-दूसरे का कुशलक्षेम पूछा। इसके बाद बहनों ने राखी बांधी और उपहार के बदले भाइयों से अपराध से तौबा करने का वादा लिया। भाइयों ने भी उन्हें दोबारा ऐसा न करने का भरोसा दिलाया।
रक्षाबंधन पर दो दिन मुहूर्त होने पर बुधवार को 187 बहनें जेल में बंद अपने भाइयों के राखी बांधने पहुंची थीं। बृहस्पतिवार को अधिकांश बहनें सुबह से जेल के बाहर पहुंच गई थीं। जेल के मुख्य द्वार के पास मुलाकातियों की कतारें लगी हुई थीं। यहां हेल्प डेस्क बनाई गई थी और भीड़ नियंत्रित करने के लिए बैरिकेडिंग की गई थी। सभी अपनी बारी आने का इंतजार करते देखे गए। यह सिलसिला शाम करीब पांच बजे तक चला। वरिष्ठ जेल अधीक्षक बृजेंद्र यादव, जेलर केपी सिंह अपने स्टाफ के साथ व्यवस्थाएं संभालने में जुटे रहे।
2020 बहन और 23 भाइयों ने जेल में राखी बंधवाई
वरिष्ठ जेल अधीक्षक बृजेंद्र यादव ने बताया कि बृहस्पतिवार को 2020 बहनों ने जेल में बंद भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा, जबकि 23 भाइयों ने भी जेल में बंद बहनों से राखी बंधवाई। जेल के अंदर खुले में भाई-बहनों की मुलाकात हुई। बाहर की मिठाइयां प्रतिबंधित थीं। इसलिए जेल के अंदर इसकी व्यवस्था की गई थी। महिलाओं के साथ बच्चे भी थे, जिन्हें साथ जाने की अनुमति दी गई थी।
भाई-बहन का प्यार देख स्टाफ भी हुआ भावुक
कोई घर का हालचाल पूछ रहा था तो कोई बहन के कंधे पर सिर पर रखकर रो रहा था। जेल की चारदीवारी में बंद कैदी अर्से बाद अपनी बहनों से मिल रहे थे। भाई-बहन के इस पवित्र प्रेम को देखकर जेल का स्टाफ भी भावुक हो उठा। विदाई का वक्त आया तो बहनें रोते हुए कारागार से बाहर निकलीं।