अमनमणि त्रिपाठी लगातार बीजेपी के संपर्क में रहे हैं।
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कवयित्री मधुमिता हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्वांचल के कद्दावर नेता व पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि की रिहाई शुक्रवार की देर शाम हो गई। शाम छह बजे तक सारी औपचारिकताएं पूरी कराकर डीएम कार्यालय से जेल प्रशासन के पास रिहाई का आदेश पहुंचा। जेलर, डिप्टी जेलर शाम 6.58 बजे आदेश की कॉपी लेकर बीआरडी मेडिकल कॉलेज लेकर रवाना हो गए। शाम 7.20 बजे उनकी रिहाई हो गई।
अब इस रिहाई के राजनीतिक तार जोड़ने की कोशिश शुरू हो गई है। महराजगंज जिले की नौतनवां सीट से निर्दलीय विधायक रहे अमनमणि त्रिपाठी ने राजनीतिक संकट के समय भाजपा का साथ दिया था। राजनीतिक हल्कों में अमनमणि के पिता अमरमणि त्रिपाठी और मां मधुमणि की जेल से समयपूर्व रिहाई को उसी साथ का रिटर्न गिफ्ट माना जा रहा है।
राज्यसभा चुनाव 2018 में तत्कालीन विधायक अमनमणि त्रिपाठी पहली बार खुलकर भाजपा के पक्ष में आए। उसके बाद विधानसभा में सतत विकास के लक्ष्यों को लेकर चले विशेष सत्र में जब विपक्षी दल विरोध में खड़े हुए तो अमनमणि भाजपा के साथ रहे। सड़क से सदन तक अन्य कई मुद्दों पर अमनमणि ने खुलकर योगी सरकार का समर्थन किया।
बताया जा रहा है कि विधानसभा चुनाव 2022 में अमनमणि ने नौतनवा से भाजपा के टिकट की मांग की थी। लेकिन उन पर पत्नी की हत्या का मुकदमा दर्ज होने चलते पार्टी ने टिकट नहीं दिया। बाद में अमनमणि ने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन वह चुनाव हार गए।
जानकारों का मानना है कि अमरमणि जेल से समय पूर्व रिहा होने के बावजूद खुद तो चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। लेकिन पूर्वांचल में अपने बेटे अमनमणि की राजनीति को बढ़ा सकते हैं। पूर्वांचल में बेटे को ब्राह्मण समाज का चेहरा बनाने का प्रयास कर सकते हैं।