ज्ञानवापी
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वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में एएसआई सर्वे रोकने संबंधी मामले की सुनवाई के दौरान जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने कहा कि मुकदमे के वादीगणों पर कोई नई शर्त नहीं थोपी जा सकती है। एएसआई कोई प्राइवेट संस्था नहीं है। वह सरकारी काम कर रही है। इसका खर्च देने के लिए बाध्य करना न्यायसंगत नहीं है।
अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की सर्वे रोकने संबंधी याचिका बीते तीन अगस्त को इलाहाबाद हाईकोर्ट, फिर चार अगस्त को सुप्रीम कोर्ट से खारिज हो चुकी है। सर्वे जारी है। इसमें स्थानीय अदालत को हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। सर्वे कमीशन नियुक्त करने का आदेश अंतिम हो गया है। एएसआई कोई प्राइवेट संस्था नहीं है।
एएसआई का दायित्व है कि वह किसी स्थान का वैज्ञानिक सर्वे करे और न्यायालय के आदेश का अनुपालन कर अपना काम पूरा करते हुए रिपोर्ट प्रस्तुत करे। एएसआई ने एक सरकारी काम किया है। इसके लिए उसे व्यय की कोई राशि दिलाया जाना न्यायसंगत नहीं है। अदालत ने कहा कि मसाजिद कमेटी का प्रार्थना पत्र बलहीन है, इसलिए उसे खारिज किया जाता है।
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