खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो के आरोपों के बाद भारत और कनाडा के बीच तनाव बढ़ गया है। भारत ने इसके विरोध में कार्रवाई करते हुए कनाडा के सीनियर डिप्लोमैट को पांच दिनों के भीतर देश छोड़ने के लिए कहा है। इस बीच दावा किया गया कि आतंकवादी समूहों का समर्थन करने वाले कम से कम नौ अलगाववादी संगठनों के ठिकाने कनाडा में हैं। यह भी कहा गया कि कई प्रत्यर्पण अनुरोधों के बावजूद कनाडा ने लोकप्रिय पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या सहित जघन्य अपराधों में शामिल लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है।
कनाडा से अपने काम को अंजाम दे रहे अलगाववादी संगठन
अधिकारियों ने कहा कि विश्व सिख संगठन (डब्ल्यूएसओ), खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ), सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) और बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) जैसे खालिस्तान समर्थक संगठन पाकिस्तान के इशारे पर कथित तौर पर कनाडा की धरती से स्वतंत्र रूप से काम कर रहे हैं।
आतंकियों के निर्वासन के अनुरोध सालों से लंबित
अधिकारियों ने कहा कि भारत में कई मामलों में वांछित आतंकियों के निर्वासन के अनुरोध कनाडाई अधिकारियों के पास सालों से लंबित हैं। इतना ही नहीं भारतीय अधिकारियों ने यह आरोप भी लगाया कि इन लोगों के खिलाफ इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस भी लंबित है।
अधिकारियों ने कहा कि भारतीय अधिकारियों ने गुरप्रीत सिंह के निर्वासन का अनुरोध किया था। साथ ही उसका कनाडा का पता भी दिया था, लेकिन कनाडा मूक बना रहा। उसके अलावा, 16 आपराधिक मामलों में वांछित अर्शदीप सिंह उर्फ अर्श डल्ला, पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या की जिम्मेदारी लेने वाले सतिंदरजीत सिंह बराड़ उर्फ गोल्डी बराड़ के खिलाफ भी कनाडा की सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की है। उन्होंने कहा कि अलगाववादी संगठन खुलेआम हत्या की धमकियां दे रहे हैं। अलगाववादियों के एजेंडे को बढ़ावा दे रहे हैं और भारत में लक्षित हत्याएं कर रहे हैं। लेकिन भारत की चिंताओं के बाद भी कनाडा कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।
भारत की चिंताओं के बाद भी कनाडा बना है मूक
अधिकारियों ने यह भी कहा कि खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के संबंध में कनाडाई अधिकारियों और राजनेताओं द्वारा भारत के खिलाफ लगाए गए आरोप गलत हैं। उनकी टिप्पणियों के पीछे कोई आधार नहीं है।
अधिकारियों ने कहा कि वांछित आतंकवादियों और गैंगस्टरों के निर्वासन का मुद्दा भारतीय अधिकारियों द्वारा कई राजनयिक और सुरक्षा वार्ताओं में उठाया गया है। बावजूद इसके कनाडा इन आतंकवादी तत्वों का समर्थन करता रहा। वे भारत की चिंताओं के प्रति अनिच्छुक और निर्लज्ज बने रहे। उन्होंने कहा कि आतंकवादी गतिविधियों में शामिल आठ लोगों और पाकिस्तान की आईएसआई के साथ साजिश रचने वाले कई गैंगस्टरों को कनाडा में सुरक्षित ठिकाना मिल गया है।
40 मोस्ट वांटेड आतंकियों की लिस्ट में हरदीप सिंह निज्जर
कनाडा के वैंकुवर में अज्ञात युवकों की गोली का शिकार बना हरदीप सिंह निज्जर जालंधर के फिल्लौर के गांव भारसिंहपुरा का रहने वाला था और खालिस्तान टाइगर फोर्स का प्रमुख था। भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने 40 मोस्ट वांटेड आतंकियों की जो लिस्ट जारी की थी, उसमें निज्जर का नाम था।
सितंबर-2020 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने निज्जर को आतंकी घोषित कर दिया। इसके बाद निज्जर की जालंधर के भारसिंहपुरा गांव की प्रॉपर्टी भी कुर्क कर ली गई। एनआईए निज्जर पर 10 लाख रुपये का इनाम घोषित कर चुकी थी। मोहाली स्थित पंजाब पुलिस के इंटेलिजेंस हेडक्वार्टर और कई थानों पर ग्रेनेड हमले करवाने वाला अर्शदीप डल्ला भी निज्जर का सहयोगी है। पहला मामला गांव भारसिंहपुरा में पुजारी की हत्या का था, जिसमें निज्जर की भूमिका सामने आई थी।
18 जून को कर दी गई थी निज्जर की हत्या
हरदीप सिंह निज्जर की 18 जून 2023 को कनाडा में गोलियां मारकर हत्या कर दी गई थी। उसे कनाडा में ब्रिटिश कोलंबिया के सरी स्थित गुरुनानक सिख गुरुद्वारा के पास 2 अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मार दी। निज्जर इस गुरुद्वारे का संचालन करने वाली कमेटी का प्रधान भी था। हरदीप सिंह निज्जर ने 2013-14 में पाकिस्तान की भी यात्रा की थी।
कनाडाई पीएम ने भारत सरकार पर लगाए आरोप
इस बीच कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने आरोप लगाए कि कनाडाई सुरक्षा एजेंसियों के पास यह मानने के कारण है कि भारत सरकार के एजेंटों ने ही निज्जर की हत्या की। कनाडाई एजेंसियां निज्जर की हत्या में भारत की साजिश की संभावनाओं की जांच कर रही हैं। ट्रूडो ने जोर दिया कि कनाडा की धरती में कनाडाई नागरिक की हत्या में किसी भी प्रकार की संलिप्तता अस्वीकार्य है।
भारत का कनाडा को जवाब
आरोपों पर भारत के विदेश मंत्रालय ने करारा जवाब दिया। मंत्रालय ने कनाडा के आरोपों को बेतुका और प्रेरित करार दिया है। भारत ने कहा कि इस तरह के आरोप सिर्फ उन खालिस्तानी आतंकी और कट्टरपंथियों से ध्यान हटाने के लिए जिन्हें लंबे समय से कनाडा में शरण दी जा रही है और जो भारत की क्षेत्रीय एकता और अखंडता के लिए लगातार खतरा बने हुए हैं।