अलीगढ़ का खेरेश्वर महादेव मंदिर
– फोटो : नितिन गुप्ता
विस्तार
खेरेश्वर धाम मंदिर
सावन मास में अलीगढ़ मे लोधा क्षेत्र के हरिदासपुर स्थित खेरेश्वर धाम मंदिर, भक्तों की आस्था एवं भक्ति का प्रमुख केंद्र बन जाता है। भगवान भोलेनाथ यहां शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं और यह मंदिर सिद्ध पीठ के रूप में प्रसिद्ध है। हजारों की संख्या में श्रद्धालु शिवलिंग पर जल एवं दूध अर्पित करने के लिए आते हैं। वैसे तो सावन के सोमवार को अधिकांश शिव मंदिरों में भक्तों का सैलाब उमड़ता है, मगर खेरेश्वर धाम में पूरे सावन भर आस्था उमड़ती हुई दिखाई देती है और हर-हर बम-बम के जयकारों से पूरा मंदिर गूंजता रहता है। सावन मेले को देखते हुए इस बार भी भक्तों के लिए ग्राम पंचायत स्तर से खास व्यवस्था की गई है। सेवादार भक्तों की सेवा के लिए मौजूद रहेंगे।
पौराणिक इतिहास
सिद्धपीठ खेरेश्वर धाम भगवान श्री कृष्ण अपने बड़े भाई बलराम के साथ आए हुए थे। साथ ही पांडव के साथ उन्होंने खेरेश्वर धाम स्थित शिव मंदिर पर हवन भी किया था, इसलिए पश्चिमी यूपी में खेरेश्वर धाम की मान्यता है। यहां आस-पास के अलावा कई प्रांतों के श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ और श्री बांके बिहारी के स्वरूप का दर्शन करने के लिए आते हैं। स्वामी हरिदास जी की कर्म स्थली के रूप में भी खेरेश्वर धाम जाना जाता है। अलीगढ़- पलवल मार्ग पर खेरेश्वर धाम मंदिर स्थित है। रोडवेज बस स्टैंड से रेलवे स्टेशन से खेरेश्वर धाम की दूरी करीब 13 किलोमीटर है। यहां भगवान शिव शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं।
ऐसा बताया जाता है कि द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण अपने बड़े भाई बलराम जी के साथ गंगा स्नान करने जा रहे थे, रास्ते में खेरेश्वरधाम उस समय एक टीले के रूप में था। यहां पर दोनों भाइयों ने कुछ देर विश्राम किया भगवान भोलेनाथ शिवलिंग की उपासना की। तभी गांव वालों ने बताया की यहां उलसूर नामक राक्षस का बहुत बड़ा आतंक है उसे कोलासुर नाम से जाना जाता था। इस पर बलराम जी ने कोलासूर राक्षस को ललकारा। दोनों में भयंकर युद्ध हुआ अंत में बलराम जी ने अपने हल से कोल्हापुर राक्षस का वध कर दिया। हल को लेकर आगे बड़े तो हरदुआगंज में एक तालाब में उस हल को धोया। इससे हरदुआगंज का नाम हल दुआ पड़ गया। यहां हल धुलने के बाद फिर दोनों भाइयों गंगा में जाकर स्नान किया।
भगवान श्री कृष्ण खेरेश्वर धाम में रुके थे इसलिए धीरे धीरे खेरेश्वर धाम की पौराणिक मान्यता पर और वहां भक्तों का आना शुरू हो गया। ऐसा भी बताया जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने पांडवों के साथ आकर उन्होंने शिवलिंग की पूजा की थी और हवन किया था इसीलिए यह मंदिर सिद्ध पीठ के रूप में प्रसिद्ध हो गया। प्रसिद्ध संगीतकार स्वामी हरिदास से खेरेश्वर धाम का जुड़ाव है। खेरेश्वर धाम की एकदम निकट हरिदासपुर गांव की है। स्वामी हरिदास जी महान संगीतकार थे और उनके शिष्य तानसेन अकबर के दरबार में नवरत्नों में से एक थे।