उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़।
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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने समान नागरिक संहिता को लागू करने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि यह सही समय है जब समान नागरिक संहिता को लागू करना चाहिए। जोर देते हुए उन्होंने कहा कि यूसीसी के कार्यान्वयन में कोई भी और देरी हमारे मूल्यों के लिए हानिकारक होगी।
उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 44 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि देश अपने नागरिकों के लिए यूसीसी सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा। उपराष्ट्रपति मंगलवार को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) गुवाहाटी के 25वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए यह बयान दिया।
आईआईटी गुवाहाटी के 25वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति धनखड़ ने इस बात पर भी जोर दिया कि राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत (डीपीएसपी) ‘देश के शासन में मौलिक’ हैं और उन्हें नियमबद्ध करना राज्य का कर्तव्य है। कई डीपीएसपी पहले ही कानून में तब्दील हो चुके हैं। उदाहरण के लिए पंचायतें, सहकारी समितियां और शिक्षा का अधिकार आदि।
उपराष्ट्रपति ने कहा, ये संविधान के संस्थापकों के विचारों की प्रक्रिया थी। अब यूसीसी को लागू करने का समय आ गया है और इसमें बाधा या अधिक देरी का कोई औचित्य नहीं हो सकता है। संविधान निर्माता निश्चिंत थे कि देश के शासन में मौलिक निदेशक सिद्धांत कानून बनाने में राज्य के कर्तव्यों में परिलक्षित होंगे। इस आधार जब यूसीसी लागू करने का प्रयास किया जाता है तो कुछ लोगों की प्रतिक्रिया स्तब्धकारी होती है। राजनीतिक हिस्सेदारी राष्ट्र और राष्ट्रवाद की कीमत पर नहीं हो सकती है।
धनखड़ ने कहा, यूसीसी को सही ढंग से समझा जना चाहिए क्योंकि यह राष्ट्र को अधिक प्रभावी ढंग से बांधेगा। अगर इसके क्रियान्वयन में अधिक देरी होती है तो यह हमारे मूल्यों के लिए हानिकारक होगा। राजनेता अपनी इच्छानुसार राजनीति कर सकते हैं, लेकिन राष्ट्र और राष्ट्रवाद के प्रति सम्मान होना चाहिए।