अस्पताल में भर्ती यात्री
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काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन के बाद अगला पड़ाव मथुरा था। बम-बम भोले और कान्हा के गीत-भजन गाने के बाद लोगों ने भोजन किया। 10 बजे से लोगों को दस्त, उल्टी, पेट में दर्द, घबराहट की परेशानी होने लगी। 10:45 से हालत बिगड़ने लगी और शौचालय, सीट पर ही निढाल होते देख यात्रियों में चीख-पुकार मच गई।
एसएन में भर्ती उत्तम साहू के चचेरे भाई चेतन लाल ने बताया कि बनारस से शाम को करीब पांच बजे मथुरा के लिए रवाना हुए। 9 बजे खाने के बाद लोग सीटों पर सोने चले गए। कई लोगों ने खाना नहीं खाया था और आपस में बातचीत कर रहे थे। 10 बजे के बाद एक-एक करके लोग उठने लगे और पेट में दर्द, घबराहट की परेशानी बताई। उल्टी-दस्त होने पर घर से लाए दवाएं खाईं।
पौने ग्यारह बजे से तो तीनों बोगी में 35-40 यात्रियों को उल्टी-दस्त होने लगे। कई तो शौचालय में ही गिर पड़े, इनको लेकर आते तो सीट पर दूसरा साथी उल्टियां करने लगता। तीनों ही बोगियों में ये हाल देख लोग घबरा गए और चीखने-चिल्लाने लगे।
20 की सुबह 11 बजे तक दवाएं खत्म होने के बाद हालात और बिगड़ गए। गैलरी, सीट, शौचालय में लोग गिरे पड़े थे। लगता था कि अब किसी की जान नहीं बच पाएगी। आगरा कैंट स्टेशन आने तक दो की मौत हो चुकी थी। यहां आने के बाद इलाज मिला, जिससे बाकी की जान बच गई।