बांसुरी उद्योग
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पीलीभीत जिले की पहचान बांसुरी उद्योग कोरोना काल में लगे लॉकडाउन के बाद से अब तक उबर नहीं पाया है। इस धंधे में लगे शहर के करीब ढाई सौ परिवारों के सामने दूसरा व्यवसाय शुरू करना भी बड़ी चुनौती है।
कच्चा माल मंगवाने के बाद बाहर से बांसुरी का अपेक्षित ऑर्डर न मिलने से कारीगर खाली हैं। यदि शासन स्तर से इस उद्योग को बढ़ावा देने के प्रयास हों तो यहां की बांसुरी फिर से देश-विदेश में धूम मचा सकती है। सबसे बड़ी जरूरत तो कच्चा माल यहीं तैयार करने की है। अगर जिले में ही बांसुरी का बांस उगाने का सपना साकार हो जाए तो यहां खेतों में बांसुरी की धुन सुनाई दे सकती है।
ओडीओपी में शामिल है बांसुरी उद्योग
प्रदेश सरकार ने पीलीभीत के बांसुरी उद्योग को एक जिला-एक उत्पाद की श्रेणी में शामिल किया है। यहां 250 से ज्यादा परिवार बांसुरी बनाने का काम करते हैं। यह उद्योग पीढ़ी दर पीढ़ी लगातार 200 साल से चला आ रहा है। मौजूदा समय में जिले में इस उद्योग से जुड़े लोग अब दूसरा धंधा शुरू करने की योजना बना रहे हैं।