पीलीभीत टाइगर रिजर्व
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बेहतर ग्रास लैंड के बीच नहरों का जाल बाघ समेत वन्यजीवों के लिए मुफीद साबित हुआ। नौ वर्षों में पीलीभीत टाइगर रिजर्व की देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी पहचान बन गई। वर्ष 2014 को पीलीभीत के जंगल को टाइगर रिजर्व का दर्जा मिला।
इसके बाद बेहतर संरक्षण के चलते छह सालों में बाघों की संख्या 24 से बढ़कर 65 से अधिक हो गई। पीलीभीत टाइगर रिजर्व को विश्व स्तरीय टाइगर एक्स टू अवार्ड से भी नवाजा गया है। यहां बाघों की संख्या बढ़ने के पीछे जंगल का अनुकूल वातावरण और भोजन की पर्याप्त व्यवस्था बताई जा रही है।
73 हजार वर्ग हेक्टेयर में फैले पीलीभीत के जंगल को भले ही वर्ष 2014 में टाइगर रिजर्व का दर्जा मिला, लेकिन ब्रिटिश काल में भी पीलीभीत के जंगल की अलग पहचान रही है। इंग्लैंड की कई नामचीन हस्तियां उस दौरान पीलीभीत के जंगलों में बाघों का शिकार करने के लिए यहां आती रहती थीं। टाइगर रिजर्व बनने के बाद यहां बाघों के संरक्षण के प्रयास शुरू किए गए। ग्रास लैंड बनाए गए। पानी के लिए जंगलों में जगह जगह जलाशय बनाए गए हैं।
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नहरें होने से बाघ समेत अन्य पशुओं को खाने-पीने की जंगल में कोई दिक्कत नहीं रहती है। बाघों को जंगल के शांत माहौल में विचरण करते देखा जा सकता है। इससे जंगल की सुंदरता भी बढ़ी है। इसका सकारात्मक असर पर्यटन पर भी पड़ा है। बाघ देखने के शौकीन सैलानियों की आमद हर साल बढ़ती जा रही है। अब एनटीसीए की रिपोर्ट में बाघों की संख्या और बढ़ने के आसार हैं।