Suvendu Adhikari
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पश्चिम बंगाल की राजनीति में बुधवार को एक अनोखा नजारा देखने को मिला, जब एक-दूसरे की धुर विरोधी पार्टियां कांग्रेस और भाजपा के नेता टीएमसी के खिलाफ रैली में एक मंच पर दिखाई दिए। दरअसल, भाजपा विधायक शुभेंदु अधिकारी और कांग्रेस नेता कौस्तव बागची ने बुधवार को कोलकाता में स्कूल टीचर की नौकरी की मांग कर रहे उम्मीदवारों की विरोध रैली में भाग लिया। इस घटनाक्रम के बाद सत्तारूढ़ टीएमसी ने सीपीएम, कांग्रेस और भाजपा के बीच साठगांठ का आरोप लगाया।
बंगाल में शिक्षक की नौकरी के इच्छुक अभ्यर्थियों ने दक्षिण कोलकाता में टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी के कार्यालय पास प्रदर्शन किया। रैली में टीएमसी के खिलाफ पोस्टर के साथ-साथ इंडिया गठबंधन के भी बैनर दिखाई दिए। प्रदर्शन में भाग लेने पहुंचे अधिकारी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, टीएमसी सरकार के भ्रष्टाचार से परेशान अभ्यर्थियों ने विरोध रैली निकाली। मुझे विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में इसमें भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया। अगर कौस्तव बागची भी विरोध में शामिल होते हैं तो इसमें हर्ज क्या है। भाजपा नेता ने कहा कि टीएमसी के कुशासन और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाले किसी भी व्यक्ति का इस तरह के प्रदर्शन में शामिल होने के लिए स्वागत है।
वहीं, रैली में अपनी भागीदारी को लेकर बागची ने कहा कि उन्हें भ्रष्ट टीएमसी के खिलाफ किसी भी रैली या कार्यक्रम में हिस्सा लेने में कोई दिक्कत नहीं है। उन्हें टीएमसी सरकार के खिलाफ शुभेंदु अधिकारी के साथ भी मंच साझा करने में कोई दिक्कत नहीं है। एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि हमने इंडिया गठबंधन की तख्तियों के साथ प्रदर्शन किया, क्योंकि हम चाहते हैं कि इंडिया गठबंधन के सदस्यों को बंगाल में हो रहे भ्रष्टाचार के बारे में पता चले।
टीएमसी, कांग्रेस और सीपीएम राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा का मुकाबला करने के लिए बने विपक्षी इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं। ताजा घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि भाजपा और कांग्रेस नेताओं का एक साथ रैली में भाग लेना उनके बीच की मौन समझौते को दर्शाता है। कांग्रेस को जवाब देना चाहिए कि वे बंगाल में भाजपा का समर्थन करते हैं या नहीं।
अधीर रंजन चौधरी ने महत्व देने से किया इनकार
वहीं, बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने इसे ज्यादा महत्व देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि कौस्तव बागची वहां निजी हैसियत से गए होंगे, कांग्रेस नेता के तौर पर नहीं। उन्होंने कहा कि भाजपा से कैसे लड़ना है, इस पर टीएमसी को हमें ज्ञान देने की जरूरत नहीं है। लेकिन भाजपा के खिलाफ लड़ने का मतलब यह नहीं है कि हम बंगाल में टीएमसी के भ्रष्टाचार पर आंखें मूंद लेंगे।