बंधक बच्ची मैत्री के ताऊ बने एसीपी: बदमाशों को बातों में उलझाया, पानी और मीठा भी लेकर गए
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बदमाशों के चंगुल से मां-बेटी को मुक्त कराने में कमिश्नरेट की पुलिस ने संयम से काम लिया। एसीपी कैंट डॉ. अतुल अंजान त्रिपाठी सादे कपड़े में बंधक बनाई गई मासूम मैत्री के ताऊ बनकर घर के अंदर गए। बदमाशों से बात की और मौका मिलते ही उन्हें दबोच लिया। रेस्क्यू ऑपरेशन में एसीपी कैंट ने उल्लेखनीय भूमिका निभाई। इसकी तारीफ पुलिस आयुक्त मुथा अशोक जैन ने भी की और पूरी टीम के साथ उन्हें शाबाशी दी।
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बदमाशों ने मासूम मैत्री और उसकी मां सोनी को घर के एक कमरे में बंधक बनाकर रखा था। इसी बीच बदमाशों ने दस लाख रुपये की फिरौती मांगी। इसकी सूचना पुलिस को मिली, फिर बदमाशों से बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ। इसी बीच एसीपी कैंट डॉ. अतुल अंजान त्रिपाठी पहुंचे और उन्होंने घटना की जानकारी ली। इसके बाद वह मासूम के पिता अनुपम के बड़े भाई बनकर घर के अंदर गए। उन्होंने खुद को मैत्री का ताऊ बताया और पैसे के संबंध में बात की। एसीपी कैंट ने कहा कि इतनी जल्दी 10 लाख रुपये की व्यवस्था नहीं हो पाएगी। जितना हो सकता है, उतने की व्यवस्था करते हैं। पहले पांच लाख रुपये, फिर छह लाख रुपये देने पर सहमति बनी। दोनों बदमाशों ने कहा कि उन्हें एक वाहन भी चाहिए। उस वाहन में वह मां-बेटी के साथ जाएंगे और शहर से बाहर जाने पर दोनों को छोड़ देंगे। पुलिस अगर उनका पीछा करेगी तो मां-बेटी को मार देंगे। एसीपी कैंट बदमाशों को वाहन उपलब्ध कराने के लिए भी तैयार हो गए। बदमाशों का इरादा खतरनाक था। वह बच्ची की गर्दन से चाकू सटाए हुए थे। इसे भांप कर एसीपी कैंट कमरे से बाहर निकल आए।