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विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति रितु राज अवस्थी ने बुधवार को कहा कि एक साथ चुनाव कराने के मुद्दे पर काम अब भी जारी है और इस पर रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के लिए कोई समयसीमा नहीं दी गई है। उन्होंने यह भी कहा कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम और ऑनलाइन प्राथमिकी पर रिपोर्ट को अंतिम रूप दे दिया गया है और कानून मंत्रालय को भेज दिया गया है। कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अवस्थी ने यहां संवाददाताओं से कहा, ”अभी भी एक साथ चुनाव कराने पर कुछ काम चल रहा है। हमने रिपोर्ट को अंतिम रूप नहीं दिया है। इसे अंतिम रूप देने के लिए कोई समयसीमा नहीं है।” प्रक्रिया के अनुसार, विधि आयोग की सभी रिपोर्ट केंद्रीय कानून मंत्रालय को सौंपी जाती हैं, जो फिर उन्हें संबंधित मंत्रालयों को भेजता है। एक साथ चुनाव कराने का मुद्दा विधि आयोग के पास वर्षों से लंबित है। पिछले विधि आयोग ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के लिए तीन विकल्प सुझाए थे, लेकिन कहा था कि कई बिंदुओं पर ध्यान दिया जाना बाकी है।
इस बड़ी कवायद पर जुड़ी अपनी मसौदा रिपोर्ट के साथ जारी एक सार्वजनिक अपील में आयोग ने कहा था कि हालांकि लोकसभा और विधानसभा चुनावों के तालमेल को हासिल करने में आने वाली कई बाधाओं को दूर कर लिया गया है, लेकिन कुछ बिंदुओं पर अभी भी विचार किया जाना बाकी है। न्यायालय ने सभी पक्षों से यह सुझाव देने को कहा था कि क्या एक साथ चुनाव कराने से किसी भी तरह से लोकतंत्र, संविधान के मूल ढांचे या देश की संघीय राजनीति के साथ छेड़छाड़ होगी।
पीठ ने कहा था कि विभिन्न समितियों और आयोगों ने त्रिशंकु संसद या विधानसभा की स्थिति से निपटने के लिए सुझाव दिए हैं, जहां किसी भी राजनीतिक दल के पास सरकार बनाने के लिए बहुमत नहीं है। इन समितियों ने प्रस्ताव दिया है कि प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री को उसी तरीके से नियुक्त या चुना जा सकता है जिस तरह से सदन के अध्यक्ष का चुनाव किया जाता है। अब, वर्तमान विधि आयोग ने इस विषय पर आगे काम करना शुरू कर दिया है।
पॉक्सो अधिनियम पर विधि आयोग की रिपोर्ट सहमति की उम्र के मुद्दे से संबंधित है। वर्षों से, पॉक्सो अधिनियम, जो एक बच्चे को 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति के रूप में परिभाषित करता है, अक्सर किशोरों उम्र निर्धारण में दिक्कतें आती रहती हैं। पिछले साल, दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा था कि अधिनियम के पीछे की मंशा बच्चों को यौन शोषण से बचाना है और यह कभी भी युवा वयस्कों के बीच सहमति से रोमांटिक संबंधों को अपराध बनाने के लिए नहीं था। अदालत ने यह टिप्पणी उस लड़के को जमानत देते हुए की जिसने 18 साल की लड़की से शादी की थी और उसे 2018 में बने कानून के तहत पकड़ा गया था। हर तीन साल में गठित होने वाला विधि आयोग जटिल कानूनी मुद्दों पर सरकार को सलाह देता है।