बस नाम के शहरी: हालात गांव से भी बदतर, 30 गांवों के लोगों का दर्द, विकास कार्य तो दूर, सर्वे तक नहीं किया

बस नाम के शहरी: हालात गांव से भी बदतर, 30 गांवों के लोगों का दर्द, विकास कार्य तो दूर, सर्वे तक नहीं किया


नगला अठवारिया, प्रताप, जोगिया, रमनपुर, गढ़ी कंधारी, गढ़ी तमना, लहरा, दयानतपुर, नगला उम्मेद, चिंतापुर, सोखना, दादनपुर ढकपुरा, हाथरस देहात, तरफरा, अइयापुर, कलवारी, मीतई, कुंवरपुर, गिजरौली, नइरोई, खोड़ा हजारी, बाला पट्टी शेखजाफर, गढ़ी मधु, हतीसा भगवंतपुर, नगला नंदू, गजुआ, गोपालपुरा, दर्शना, दयालपुर, ककरावली।

शहर में शामिल होने वाले गांवों का विकास कार्य के लिए सर्वे कराया जा रहा है। नए टीएस आए हैं, जल्द ही सर्वे को पूरा कराया जाएगा। -नवनीत शंखवार, ईओ, नगर पालिका परिषद, हाथरस 

शहरी मतदाता तो बन गए, लेकिन सुविधाओं के नाम पर आज भी हालात  जस के तस बने हुए हैं। -अमित पौरुष, जोगिया 

गांव की गलियों में अधेंरा हैं, अभी तक पथप्रकाश की व्यवस्था नहीं हुई, आज भी पहले की तरह गांव के बाशिंदे होने का अहसास होता है। -गोपी पंडित, गिजरौली

उस समय, शहर की सीमा में आने की खुशी हुई, लेकिन तीन साल बाद शहरी सुविधाएं क्या होती हैं, यह आज तक पता भी नहीं चला। -योगेश शर्मा, नंद नगरिया

गांव की सुविधा खत्म हुई, शहर से मिली नहीं 

नगर पालिका परिषद के सीमा विस्तार में 11 ग्राम पंचायतों के 30 गांवों के शामिल होने के बाद वहां पर ग्राम पंचायत स्तर से मिलने वाली सुविधाएं बंद हो गई। ग्रामीणों का कहना है कि गांव की सुविधा तो बंद हो गई और शहर की सुविधाएं मिल नहीं पा रही है। इससे तो गांव में ही रहते तो बेहतर थे, कम से कम ग्रामीण सुविधाएं मिलती तो रहतीं।



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