बीएचयू अस्पताल: इमरजेंसी से मरीजों को निजी अस्पताल खींच ले जाते हैं बिचौलिए
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बीएचयू अस्पताल में बिचौलियों का गिरोह सक्रिय है। इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को बिचौलिए खींचकर निजी अस्पतालों में ले जाते हैं। खुद कमीशन लेते हैं, फिर कुछ निजी अस्पताल संचालक मनमाना बिल बनाकर मरीज और उनके तीमारदारों की जेब खाली कर देते हैं। ऐसे मामले बीएचयू प्रशासन के पास आए हैं। इसी का नतीजा रहा कि बीएचयू प्रशासन ने सीसी फुटेज की मदद से दो महीने के दौरान 100 बिचौलियों को चिन्हि़्त किया और उनकी फोटो सार्वजनिक कर दी। मरीज व उनके तीमारदारों को बिचौलियों से सावधान रहने को कहा गया है।
बीएचयू अस्पताल में हर दिन करीब आठ से दस हजार मरीज आते हैं। पहले ओपीडी में पर्चा कटवाते हैं, फिर ने के बाद वह वार्ड में डॉक्टर को दिखाने पहुंचते हैं। बिचौलिए इलाज न मिलने का झांसा देते हैं। कहते हैं कि इमरजेंसी में जगह नहीं है। निजी अस्पताल में ही सस्ता इलाज मिल जाएगा। आईसीयू में बेड नहीं मिल पा रहे हैं। पैथालोजी जांच में 20 से 25 दिन का समय लगेगा। जैसे ही मरीज व तीमारदार जाले में फंसते हैं, वैसे ही बिचौलिया उन्हें लंका, सामनेघाट, डाफी सहित शहर के अन्य निजी अस्पतालों में ले जाते हैं। जब मरीजों को पता चलता है कि गलत फंस गए हैं, तब तक देर हो जाती है। अच्छा इलाज भी नहीं मिल पाता और जेब भी खाली हो जाती है।
गिरोह में किशोर, बुर्जुग और महिलाएं
बीएचयू अस्पताल में जो गिरोह सक्रिय है, उसमें किशोर, बुजुर्ग और महिलाएं भी शामिल हैं। महिलाएं एमसीएच विंग के आसपास मंडराती हैं। ओपीडी में दिखाने वाली महिलाओं को जाल में फंसाकर निजी अस्पताल ले जाती हैं। गिरोह के बुजुर्ग सदस्य बुजुर्ग मरीजों को निशाना बनाते हैं।
बीएचयू अस्पताल में आने वाले मरीजों, तीमारदारों की सुरक्षा के लिए समय-समय पर छापा मारकर बिचौलियों, चोरों को पकड़ा जाता है। आईएमएस के डिप्टी चीफ प्रॉक्टर प्रो. ललित मोहन अग्रवाल ने अब तक कई लोगों को पकड़ा है। फोटो भी जारी की गई है। – प्रो. शशि प्रकाश सिंह, चीफ प्रॉक्टर बीएचयू