भव्य होगा अलीगंज हनुमान मंदिर: मुख्यमंत्री पर्यटन विकास सहभागिता योजना का लखनऊ से होगा श्रीगणेश

भव्य होगा अलीगंज हनुमान मंदिर: मुख्यमंत्री पर्यटन विकास सहभागिता योजना का लखनऊ से होगा श्रीगणेश



अमर उजाला को ये तस्वीर आर्किटेक्ट आशीष श्रीवास्तव ने मुहैया करवाई।
– फोटो : amar ujala

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अलीगंज का नया हनुमान मंदिर प्रदेश के धार्मिक पर्यटन स्थलों में से एक होगा। इसे मुख्यमंत्री की पर्यटन विकास सहभागिता योजना के तहत विकसित किया जाएगा। इस पर स्वीकृति दे दी गई। प्रथम चरण में 191 लाख रुपये से इसके द्वार को भव्य बनाया जाएगा, जिस पर वैदिक कालीन झलक दिखेगी। नौवीं व दसवीं शताब्दी काल के हिंदू राजाओं के महलों की तर्ज पर झरोखे बनाए जाएंगे। दीवारों पर नक्काशी की जाएगी, जो मंदिर की भव्यता में चार चांद लगाएगी।

मुख्यमंत्री पर्यटन विकास सहभागिता योजना के तहत प्रदेश के सभी विधानसभा क्षेत्रों में पर्यटन स्थल विकसित किए जाएंगे। पर्यटन विभाग में इसके लिए 68 प्रस्ताव आ चुके हैं। मंगलवार को लखनऊ की योजना को स्वीकृति दे दी गई। 50 फीसदी राशि राज्य सरकार और 50 प्रतिशत मंदिर ट्रस्ट खर्च करेगा। पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि इस योजना के तहत जनप्रतिनिधि, संस्था व संगठन भी प्रस्ताव दे सकते हैं।

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पर्व पर भीड़ प्रबंधन में मददगार होगा तीन द्वार

– मंदिर प्रोजेक्ट से जुड़े आर्किटेक्ट आशीष श्रीवास्तव बताते हैं कि मुख्य द्वार में तीन द्वार होंगे। इससे भीड़ का प्रबंधन आसान होगा। इसे त्योहारों के दौरान प्रवेश व निकासी के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा। यह 85 फीट चौड़ा और 35 फीट ऊंचा होगा। द्वार के पास 17 से 18 फीट चौड़ी सड़क छोड़ी गई है।

– वैदिक कालीन इतिहास के अध्ययन के बाद इसके डिजाइन को इस तरह तय किया गया है ताकि उस काल की झलक दिखे। आमतौर पर अवध के वास्तु में मुगलकालीन झलक मिलती है। हमने इससे हटकर काम किया है। द्वार पर बने झरोखे व नक्काशी खास होंगे।

– बीच की खाली जगह को लैंडस्केप, संकेतकों व विशेष लाइटों से सजाया जाएगा। दुकानों को कुछ पीछे करके भक्तों व पर्यटकों के लिए ज्यादा खुली जगह निकाली जाएगी।

– प्रथम चरण में द्वार के काम को पूरा करके अगले चरण में मंदिर के भीतर के डिजाइन पर काम होगा। गौरतलब है कि आशीष श्रीवास्तव ने ही कैसरबाग हेरिटेज जोन को संजाया-संवारा। रिवरफ्रंट के सौंदर्यीकरण की शुरुआत का श्रेय भी इन्हें जाता है। हजरतगंज का जो स्वरूप हम देख रहे हैं, वह भी इन्हीं की देन है।



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