अमरमणि त्रिपाठी। (File photo)
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कवयित्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड की जांच सीबीआई के सुपुर्द होने के बाद पहली चुनौती गवाहों की सुरक्षा की थी। इस मामले का मुख्य गवाह मधुमिता का नौकर देशराज था, जिसे तलाशना सीबीआई की पहली प्राथमिकता बन गया था। सीबीआई के एडिशनल एसपी टी. राजा बालाजी के नेतृत्व में छह सदस्यीय टीम ने लखनऊ आकर जांच शुरू की, तो पता चला कि इस मामले में पुलिस ने पहले ही काफी लीपापोती कर दी है।
सीबीआई को इस मामले में पहली सफलता तब मिली, जब राणा प्रताप मार्ग पर रात 12.30 बजे देशराज मिल गया। सीबीआई ने उसे अपनी कस्टडी में लिया और डालीबाग स्थित स्टेट गेस्ट हाउस में पूछताछ करने लगी। सीबीआई के अधिकारी हरि सिंह, मुकेश शर्मा, विजय यादव ने देशराज से जब मधुमिता और अमरमणि के रिश्तों को लेकर सवाल किए तो उसने सारी कहानी बता दी। इसके बाद सीबीआई को यकीन होने लगा कि इस हत्याकांड के पीछे अमरमणि जिम्मेदार है।
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देशराज की सुरक्षा को लेकर अधिकारियों की चिंता बरकरार थी, लिहाजा उसे कैंट के एक सेफ हाउस में शिफ्ट कर दिया गया। अमरमणि की गिरफ्तारी के बाद बाकी गवाहों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सीबीआई ने इस मामले की सुनवाई देहरादून स्थित फास्ट ट्रैक कोर्ट में स्थानांतरित करने में सफलता पाई। अदालत में देशराज को पेश किया गया, जहां उसने दोनों शूटरों को पहचानने के साथ अमरमणि की करतूतों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
मधुमिता की हर कविता थी याद
मामले की जांच करने वाले सीबीआई के एक अधिकारी ने बताया कि देशराज को मधुमिता की हर कविता याद थी और वह अक्सर उसे सुनाता था। उसने सीबीआई के अफसरों को मधुमिता और अमरमणि के बीच अक्सर होने वाले झगड़ों के बारे में भी बताया था। जिन दो शूटरों ने मधुमिता को गोली मारी थी, उनकी शिनाख्त भी देशराज ने की थी। सीबीआई ने उसके बयानों के आधार पर ही अपनी जांच आगे बढ़ाई तो अमरमणि के खिलाफ सुबूत मिलते चले गए। ये भी सामने आया कि मधुमिता से रिश्ते को लेकर अमरमणि की पत्नी मधुमणि नाराज थी। जांच में ये भी सामने आया कि मधुमणि ने ही दोनों शूटरों को मधुमिता को ठिकाने लगाने भेजा था।