महाराष्ट्र-गुजरात में तबाही: विदर्भ में 19 की मौत, जूनागढ़ में 3000 लोग फंसे; पंजाब में घरों में घुसा पानी

महाराष्ट्र-गुजरात में तबाही: विदर्भ में 19 की मौत, जूनागढ़ में 3000 लोग फंसे; पंजाब में घरों में घुसा पानी



दक्षिण गुजरात में बाढ़ के बाद हालात।
– फोटो : सोशल मीडिया

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महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में भारी बारिश की वजह से पिछले 10 दिनों में 19 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। वहीं, 4,500 से ज्यादा घर ध्वस्त हो गए हैं और 54,000 हेक्टेयर फसल को भी नुकसान पहुंचा है। उधर, गुजरात भी बाढ़ से बेहाल है। जूनागढ़ में रविवार सुबह 241 मिलीमीटर बारिश के बाद हर तरफ सैलाब की स्थिति है। 3000 लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया है। उधर, अहमदाबाद स्थित सरदार बल्लभभाई एयरपोर्ट पर रनवे से लेकर पार्किंग तक हर तरफ पानी ही भरा नजर आया।

विदर्भ क्षेत्र में पानी ही पानी

महाराष्ट्र का विदर्भ क्षेत्र पिछले कई दिनों से भारी बारिश का कहर झेल रहा है। मौसम विज्ञान केंद्र ने बताया कि रविवार सुबह 8.30 बजे तक पिछले 24 घंटों के दौरान अकोला में 107.9 मिमी बारिश दर्ज की गई। बारिश से विदर्भ का अमरावती डिवीजन ज्यादा प्रभावित है। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने रविवार को कहा कि राज्य भारी बारिश से उपजे हालात से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। अधिकारियों ने बताया कि बारिश से जुड़ी घटनाओं के कारण 13 जुलाई के बाद से गढ़चिरौली और भंडारा जिलों में तीन-तीन मौतें हुई हैं, वर्धा और गोंदिया में दो-दो और चंद्रपुर में एक व्यक्ति की जान गई है। वहीं यवतमाल में तीन लोगों और अकोला और बुलढाणा में एक-एक व्यक्ति ने जान गंवाई है। राज्य के राहत एवं पुनर्वास मंत्री अनिल पाटिल ने रविवार को यवतमाल का दौरा कर हालात की समीक्षा की।  

रायगढ़ : बचाव अभियान बंद, 57 अब भी लापता

राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) ने महाराष्ट्र में रायगढ़ जिले के इरशालवाडी में बुधवार को हुए भूस्खलन के सिलसिले में खोज एवं बचाव अभियान बंद कर दिया है। महाराष्ट्र के मंत्री उदय सामंत ने रविवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जो लोग लापता हैं, उनके परिजन भी मानते हैं कि वे मलबे में दफन हो गए हैं और उन्हें बचाव अभियान बंद करने पर कोई एतराज नहीं है। मंत्री ने कहा कि भूस्खलन स्थल पर धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लगाई गई है। सामंत ने कहा कि एनडीआरएफ कर्मियों समेत 1100 से अधिक लोग बचाव एवं राहत कार्य में लगे थे जो चार दिन तक चला।  








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