टॉपर रचना गुप्ता अपनी मां और बहन के साथ।
– फोटो : अमर उजाला।
विस्तार
गोरखपुर विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में नौ स्वर्ण पदक हासिल करने वाली रचना का नाम अब सबकी जुबान पर है। पिता ठेला चलाकर परिवार का जैसे-तैसे भरणपोषण करते हैं। घर के हालात ऐसे हैं कि इस तरह की उपलब्धियों को हासिल करना छोड़िए, सोचेगा तक नहीं। लेकिन मिठाई बेचने में पिता की मेहनत लगन शिद्दत से सीखकर होनहार और कर्मठ रचना ने अपनी कामयाबी की पटकथा लिख डाली। रचना और उसके परिवार ने न तो मुफलिसी और अपनी किस्मत को कोसा और न ही हार मानी। बस, मेहनत पर भरोसा किया। आज नतीजा सबके सामने है।
शहर के गरुलपार धोबी टोला में यह परिवार नीचे दो और ऊपर दो कमरों के मकान में रहता है। ऊपर के दो कमरे छह माह पहले ही बने हैं। अब सबसे ऊपर ही मिठाई बनती है। इसके बाद पिता राजकुमार छह बजे शाम तक ठेला लेकर कोतवाली चौराहे पर पहुंच जाते है और रात 11 बजे तक दुकान लगाते हैं।
मिठाई तैयार करने के लिए तड़के से जुटते हैं और दिन भर तपिश झेलकर देर रात घर आकर टिकते हैं। वह पिछले 25 वर्षों से अनवरत यह काम करते चले आ रहे हैं ताकि बच्चों का भविष्य बेहतर बने। शायद पिता की ऐसी मेहनत और लगन को ही रचना ने आत्मसात किया और मिठाई की जगह पढ़ाई में जुट गई।
इसे भी पढ़ें: गोरखपुर में झमाझम बारिश से मौसम हुआ सुहाना, गर्मी से मिली राहत