मुरादाबाद दंगा: भाजपा की मुसलमानों को बदनाम करने की साजिश, इसलिए विधानसभा में सीएम ने पेश की रिपोर्ट

मुरादाबाद दंगा: भाजपा की मुसलमानों को बदनाम करने की साजिश, इसलिए विधानसभा में सीएम ने पेश की रिपोर्ट



कुंदरकी विधायक जियाउर्रहमान बर्क
– फोटो : सोशल मीडिया

विस्तार


मुरादाबाद के कुंदरकी विधायक ज्याउर्रहमान बर्क ने कहा कि दंगे की रिपोर्ट पेश करना भाजपा का चुनावी स्टंट हैं। इस रिपोर्ट को पेश कर सरकार मुसलमानों को बदनाम करने की साजिश रच रही है। विधायक ने कहा कि मुरादाबाद दंगे को करीब 43 वर्ष बीत गए। अब रिपोर्ट पेश करने के पीछे की मंशा को लोग जान गए हैं।

इसके पहले गुजरात में दंगे हुए। उस दंगे में कितने लोगों को सजा दी गई। ऊपर से सरकार ने लोगों को जमानत पर छोड़ दिया। बिहार के भागलपुर दंगे में कितने लोगों को सजा हुई। सरकार को सभी दंगों की रिपोर्ट पेश करना चाहिए। आरोप लगाया कि भाजपा देश को तोड़ने में लगी है।

ठाकुरद्वारा के विधायक नवाबजान खां ने कहा कि अभी दंगे की रिपोर्ट टेबल नहीं हुई है। रिपोर्ट को पढ़ने के बाद भी वह कुछ कह सकते है। इस समय आयोग की रिपोर्ट पेश करने का क्या औचित्य है। यह दंगा कांग्रेस के शासनकाल में हुआ था।

अपनों को खोने वाले 43 साल बाद भी नहीं भूले दर्द 

मुरादाबाद में 13 अगस्त 1980 की तारीख मुरादाबाद के इतिहास में कालिख की तरह चस्पा है। इस दिन ईदगाह में ईद की नमाज के दौरान हुए विवाद ने दंगे का रूप ले लिया था। इसमें 83 लोग मारे गए थे। दंगे में अपनों को खोने वाले परिवार 43 साल बाद भी दर्द नहीं भूल पाएं हैं। लूटपाट, आगजनी में लोगों के कारोबार तबाह हो गए थे।

मंगलवार को सदन में दंगे की रिपोर्ट पेश हुई तो पीड़ित परिवार को आस जागी है कि उन्हें अब इंसाफ मिलेगा। अपनों को याद कर आंखों से आंसू छलक आए। गलशहीद थाने के बराबर वाली गली में रहने वाले नाजिम हुसैन ने बताया कि उस वक्त मेरी उम्र 7 साल थी। मैं अपने वालिद, भाइयों के साथ ईदगाह पर नमाज पढ़ने गया था।

नमाज पढ़ने के बाद हम लोग घर आ गए थे। ईदगाह पर हुए विवाद के बाद शहर में दंगा भड़क गया था। मैं अपनी वालिदा, वालिद हाजी अनवार हुसैन, भाई सज्जाद हुसैन, कैसर हुसैन और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ घर में मौजूद था। इसी दौरान पुलिस कर्मी आए और उन्होंने दरवाजा खटखटाया।

दरवाजा खोलने में देरी हुई पुलिस कर्मियों ने दरवाजा तोड़ दिया था। इसके बाद वह मकान में घुस गए। पुलिस कर्मी मेरे वालिद, दोनों बड़े भाइयों और हमारे नौकर अब्दुल सलाम को अपने साथ ले गए थे।



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