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मुरादाबाद में दंगों की रिपोर्ट आखिरकार पेश कर दी गई। 43 साल पहले ईद की नमाज के बाद भड़के दंगों का असली गुनहगार मुस्लिम लीग का डॉ. शमीम खान था। रिपोर्ट के मुताबिक उसने चुनावों में हार मिलने पर मुस्लिमों की सहानुभूति पाने के लिए दंगे भड़काने की साजिश रची थी।
मंगलवार 8 अगस्त को विधानसभा में मुरादाबाद में हुए दंगों की रिपोर्ट पेश की गई। रिपोर्ट के मुताबिक मुस्लिम लीग के डॉ. शमीम अहमद खान ने वाल्मीकि, सिख और पंजाबी समाज को फंसाने के लिए 13 अगस्त 1980 को ईद की नमाज के समय अफवाह फैलाई, जिससे ईदगाह समेत 20 स्थानों पर दंगा भड़क गया।
इसका मकसद राजनीतिक लाभ हासिल करना था। तत्कालीन राज्य सरकार ने इसकी जांच का जिम्मा पहले डीएम बीडी अग्रवाल को सौंपा, हालांकि बाद में न्यायिक आयोग का गठन किया गया, जिसने तीन साल बाद अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी थी।
उसके बाद प्रदेश में किसी भी दल की सरकार इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की हिम्मत नहीं जुटा सकी। अलग-अलग सरकारों में इसे 14 बार मंत्रिमंडल के सामने प्रस्तुत कर सदन में पेश करने की मंजूरी मांगी गई, जिसे खारिज कर दिया गया।
हैरानी की बात यह है कि यह रिपोर्ट अचानक कुछ वर्षों में गायब भी रही। तमाम प्रयासों के बाद इसे रिकॉर्ड रूम से खोजा जा सका। इस वजह से भी इसे पेश करने में विलंब होता गया।
84 मारे गए, 112 घायल हुए
मुरादाबाद में सांप्रदायिक हिंसा भड़कने से 84 लोग मारे गए थे और 112 लोग घायल हुए थे। इनमें से 55 लोग भगदड़ से, जबकि 29 चोटें लगने से मरे थे। मरने वालों में 14 हिंदू भी शामिल थे। वहीं चार सरकारी अधिकारी एवं पुलिसकर्मी भी मारे गए।
49 घायल हुए थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री वीपी सिंह ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एमपी सक्सेना की अध्यक्षता में दंगे की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन किया था।
अपनों को खोने वाले 43 साल बाद भी नहीं भूले दर्द
मुरादाबाद में 13 अगस्त 1980 की तारीख मुरादाबाद के इतिहास में कालिख की तरह चस्पा है। इस दिन ईदगाह में ईद की नमाज के दौरान हुए विवाद ने दंगे का रूप ले लिया था। इसमें 83 लोग मारे गए थे। दंगे में अपनों को खोने वाले परिवार 43 साल बाद भी दर्द नहीं भूल पाएं हैं।
लूटपाट, आगजनी में लोगों के कारोबार तबाह हो गए थे। मंगलवार को सदन में दंगे की रिपोर्ट पेश हुई तो पीड़ित परिवार को आस जागी है कि उन्हें अब इंसाफ मिलेगा। अपनों को याद कर आंखों से आंसू छलक आए।