आतंंकी अहमद रजा का घर
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सीधा सादा दिखने वाला अहमद रजा उर्फ शाहरुख उर्फ मोहिउद्दीन हिजबुल का आतंकी निकला तो गांव वाले भी हैरान रह गए। गांव के लोगों का कहना है कि उन्हें कभी नहीं लगा कि अहमद रजा इस तरह की गतिविधियों में शामिल हो सकता है। यहां आकर भी कभी आतंकी संगठनों की बात नहीं की थी।
अहमद रजा की मां गुड्डो का कहना है कि उसका बेटा किसी संगठन से नहीं जुड़ा है। वह ईद पर घर आया था। कुछ दिन रुकने के बाद चला गया था। दो दिन पहले वह घर आ रहा था। करनपुर अड्डे से कुछ लोग पकड़ ले गए थे। अहमद रजा पढ़ाई करने जयपुर गया था।
पढ़ाई पूरी होने के बाद परिजन उस पर वापस आने के लिए दबाव बनाते थे लेकिन उसने आने से मना कर दिया था। परिवार के लोग चाहते थे कि अहमद रजा यहीं आकर मदरसे में पढ़ाए लेकिन उसने जयपुर में ही मध्यप्रदेश के इंदौर निवासी आसमां से प्रेम विवाह कर लिया था।
उसकी एक साल की बेटी है। इससे खफा परिवार ने अहमद रजा को बेदखल कर दिया था। बावजूद इसके वह पत्नी और बच्ची को लेकर कई बार गांव आया था लेकिन यहां ज्यादा रुकता नहीं था।
युवाओं को आतंकी संगठन से जोड़ना था मकसद
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के आतंकियों ने अहमद रजा उर्फ शाहरूख उर्फ मोहीद्दीन को ज्यादा से ज्यादा युवाओं को संगठन से जोड़ने की जिम्मेदारी दी थी। इनका का मकसद था किसी तरह भारत सरकार को हटाकर यहां शरिया कानून लागू कराएंगे और फिर इनका राज होगा। इसीलिए आरोपी भारत और सरकार के खिलाफ युवाओं को भड़काकर उनका ब्रेनवॉश भी करता था।
बद्री कमांडो बनना चाहता था आरोपी
आरोपी ने फिरदौस व पाकिस्तान के आतंकी हैंडलर के कहने पर दो बार श्रीनगर और अनंतनाग में हथियार चलाने की ट्रेनिंग ली थी। अपने मंसूबों को पूरा करने के लिए आरोपी आतंकी अहसान गाजी की मदद से अफगानिस्तान जाकर बद्री कमांडो बनना चाहता था। आरोपी ने पूछताछ में बताया कि भारत के संविधान और सरकार को नहीं मानता है।
एटीएस के रडार पर कई और संदिग्ध
आरोपी अहमद रजा से पूछताछ के आधार पर एटीएस के रडार पर कई और संदिग्ध आ गए हैं। सूत्र बताते हैं कि अहमद रजा के संपर्क में रहे युवा और कई अन्य लोगों को एटीएस गिरफ्तार कर सकती है। इसके साथी सहारनपुर में छिपे हो सकते हैं। एटीएस की टीमें सरगर्मी से आरोपी के साथियों की तलाश में जुटी है।