अमनमणि त्रिपाठी अपनी बहन के साथ। (फाइल)
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पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी की रिहाई का जब आदेश आया तो उस समय पूरा परिवार लखनऊ में था। आदेश की प्रति मिलते ही देर शाम गोरखपुर के लिए सभी रवाना हो गए। सुबह नौ बजे से पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी के बेटे अमन मणि त्रिपाठी अपने चाचा अजीतमणि और भाई अनंतमणि के साथ अधिवक्ताओं और समर्थकों के साथ कचहरी पहुंच गए थे।
सभी कागजातों पर उनकी पैनी नजर थी, बार अधिवक्ता से बात करते रहे ताकि कहीं कोई कमी न रह जाए। दिनभर परिवार के लोगों में बेचैनी रही, शाम को जब रिहाई का परवाना जेल से जारी हुआ तो राहत की सांस ली।
परिवार के लोगों को रिहाई की प्रक्रिया की जानकारी नहीं थी। शुक्रवार की सुबह करीब नौ बजे उनके अधिवक्ताओं ने जमानतदार के बांड भरने की जानकारी दी। फिर तीन सेट में बांड तैयार किया गया। परिवार के लोगों ने ही कागजी कार्रवाई पूरी कराई।
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सभी बांड के सेट तैयार होने के बाद जिला मजिस्ट्रेट के यहां दाखिल किया गया। इसके बाद आरटीओ ने सभी गाड़ियों का सत्यापन कराया। फिर जिला मजिस्ट्रेट के यहां प्रपत्र को दाखिल किया गया। शाम को 4:45 बजे जिला मजिस्ट्रेट ने रिहाई के आदेश पर हस्ताक्षर कर दिया।