सीएम योगी
– फोटो : एएनआई
विस्तार
प्रदेश सरकार की कैबिनेट ने जनता की बढ़ती आवश्यकता और जनप्रतिनिधियों की मांगों के मद्देनजर विधानमंडल के सदस्यों की विधानमंडल क्षेत्र विकास निधि को तीन करोड़ रुपये से बढ़ाकर पांच करोड़ करने की मंजूरी दी है। इसका सीधा असर विधायक के क्षेत्र में होने वाले विकास पर पड़ेगा। इसकी घोषणा पहले ही सदन में हो चुकी है। अब इसकी कैबिनेट मंजूरी भी मिल गई।
कैबिनेट ने विधानमंडल क्षेत्र विकास निधि के मार्गदर्शी सिद्धांत में संशोधन को भी मंजूरी दी है। इसके तहत अब विधायक और विधान परिषद सदस्य विधायक निधि से संयुक्त रूप से किसी परियोजना का चयन कर सकेंगे। वहीं 25 लाख रुपये से अधिक की राशि कन्वेंशन सेंटर, स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स या सभागार सहित अन्य अवस्थापना परियोजना के लिए दे सकेंगे।
मंत्रिमंडल के निर्णय की जानकारी देते हुए वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि विधानमंडल के सदस्य विधायक निधि से शिक्षण संस्था के भवनों का निर्माण, सेफगार्ड्स के साथ प्रधानाचार्य, प्रबंधक के माध्यम से भी करा सकेंगे। राजकीय, अनुदान प्राप्त या मान्यता प्राप्त हाई स्कूल एवं इंटर कॉलेजों में आवश्यक फर्नीचर, पुस्तकों, कम्प्यूटर खरीद की व्यवस्था से अनुदान शब्द को हटाया गया है।
उन्होंने बताया कि उपयोगिता प्रमाण पत्र का प्रारूप तैयार करने और स्वीकृति के बाद अधिकतम तीन माह के विलंब शुरू कराना होगा। विधायक निधि से विद्यालयों में आधारभूत संरचना का निर्माण, सामुदायिक भवन, पंचायत घर, बारात घर का निर्माण, ग्रामीण संपर्क मार्ग निर्माण, सौर ऊर्जा संयत्र की स्थापना, ऐतिहासिक एवं पर्यटन स्थलों के जीर्णोंद्धार के लिए भी राशि दे सकेंगे।
विधायक तालाबों के पुनरूद्धार, वृक्षारोपण, पार्कों के निर्माण, जिम और ओपन जिम, स्वच्छता उपकरणों, कृषि उपकरणों और गोवंश एम्बुलेंस खरीद के लिए भी राशि दे सकेंगे। मुख्यमंत्री ने विधानसभा के बजट सत्र में विधायक निधि बढ़ाने का एलान किया था। यह व्यवस्था चालू वित्त वर्ष से ही लागू होगी।