कैंसर से जीत (सांकेतिक)
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प्रदेश के हर मेडिकल कॉलेज में कैंसर यूनिट स्थापित की जाएगी। यहां मरीजों की स्क्रीनिंग, उपचार और जांच की सुविधा मिलेगी। पैथोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी लैब का उच्चीकरण भी होगा। यह व्यवस्था चरणवद्ध तरीके से लागू की जाएगी। इससे मरीजों को पहले एवं दूसरे चरण में ही चिह्नित किया जा सकेगा। गंभीर मरीजों को समय से चिकित्सा संस्थानों में रेफर कर उनकी जान बचाई जा सकेगी।
अभी केजीएमयू, एसजीपीजीआई, लोहिया संस्थान और कल्याण सिंह सुपर स्पेशियलिटी कैंसर संस्थान में कैंसर के उपचार एवं अत्याधुनिक तरीके की जांच और सिंकाई की सुविधाएं हैं। कुछ राजकीय मेडिकल कॉलेजों में भी स्क्रीनिंग और जांच शुरू की गई है। शनिवार को राजकीय मेडिकल कॉलेज कन्नौज में 220 बेड का कैंसर अस्पताल भी शुरू कर दिया गया है। अब हर मेडिकल कॉलेज में कैंसर यूनिट स्थापित करने की तैयारी है। इसके लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग ने प्रस्ताव तैयार किया है। इन यूनिटों को जांच और उपचार से जुड़े विभागों के विशेषज्ञों को मिलाकर बनाया जाएगा।
पहले चरण में छह और दूसरे चरण में सात राजकीय मेडिकल कॉलेजों में ये यूनिट बनेगी। फिर स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालयों में यह व्यवस्था लागू की जाएगी। इन यूनिटों के जरिये मरीजों की जांच कर कैंसर की स्थिति की पड़ताल की जाएगी। फिर मर्ज की स्थिति के अनुसार सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों में रेफर किया जाएगा। इस व्यवस्था से जहां लखनऊ के सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों में जहां भीड़ कम होगी, वहीं समय रहते मरीजों को इलाज के लिए दूसरे शहरों में भटकना नहीं पड़ेगा।
हर साल सामने आते हैं 2.45 लाख मामले
प्रदेश में हर साल कैंसर के 2.45 लाख मामले सामने आ रहे हैं। प्रदेश में यह 1.6 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। कैंसर से सर्वाधिक मौत यूपी में होती है। यहां वर्ष 2020 में 111491 और वर्ष 2021 में 114128 और वर्ष 2022 में 116818 लोगों की मौत हुई है। जबकि पूरे भारत में वर्ष 2022 में 808558 की मौत हुई थी।
गांव-गांव होगी स्क्रीनिंग
नेशनल सेंटर फॉर डिजीज इंफार्मेटिक्स की निगरानी में कैंसर रजिस्ट्री शुरू की गई है। लेकिन अभी सभी मरीजों का ब्योरा नहीं मिल पाता है। ऐसे में कैंसर मरीजों के लिए पॉलिसी बनाने में समस्या होती है। इसे देखते हुए अब छोटे-छोटे केंद्रों को भी कैंसर रजिस्ट्री से जोड़ने की योजना है। स्वास्थ्य विभाग जिला अस्पताल में स्क्रीनिंग की सुविधा देगा तो आशा एवं एएनएम को रोग के लक्षण के बारे में प्रशिक्षित करेगा। इसके बाद गांव-गांव मरीजों की स्क्रीनिंग कर चिह्नित किया जाएगा।
जान बचाना होगा आसान
कैंसर मरीजों को पहले एवं दूसरे चरण में चिह्नित कर लिया जाए तो उनकी जान बचाना आसान हो जाता है। इसलिए हर मेडिकल कॉलेज में कैंसर यूनिट स्थापित कर जांच करने की सुविधा दी जाएगी। जिन मरीजों को सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सा सुविधा की जरूरत होगी, उन्हें मेडिकल कॉलेजों से संबंधित विभाग में रेफर किया जाएगा।- आलोक कुमार, प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा विभाग