आम उद्यान
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अब यूपी के आम को अमेरिका, आस्ट्रेलिया और मलयेशिया में नया बाजार मिलेगा। दरअसल, अभी तक प्रदेश में ई रेडिएशन के जरिए आम को कीटमुक्त करने की व्यवस्था नहीं थी जबकि अमेरिका और आस्ट्रेलिया समेत कई देशों में आम के निर्यात की यही पहली शर्त थी। इसे देखते हुए मथुरा में प्रोजेक्ट शुरू किया गया है, जिससे यहां के आम उत्पादकों को लाभ मिलने के साथ ही निर्यात बढ़ने की उम्मीद है।
अमेरिका में चौसा, दशहरी, लंगड़ा आदि आम की मांग तो खूब है पर, वह गुणवत्ता से समझौता नहीं करता। बिना विकिरण ट्रीटमेंट के अमेरिका कोई भी फल नहीं लेता है, लेकिन यूपी में यह व्यवस्था नहीं थी। अभी तक यहां कीटमुक्त के लिए हॉट वाटर (गर्म पानी) और वेपर हीट (भाप) ट्रीटमेंट ही होता है। हालांकि ई रेडिएशन ट्रीटमेंट महाराष्ट्र के लासल गांव और मुंबई में होता है। ऐसे में यूपी से थोड़ा बहुत आम वाया महाराष्ट्र होकर अमेरिका और आस्ट्रेलिया पहुंचता है। अब केंद्र सरकार की मदद से निजी संस्था ने मथुरा में यह सिस्टम डेवलप किया है। नए सत्र से इसका लाभ मिलने लगेगा।
2020 में ही लगाई थी रोक
भारतीय आम के निर्यात पर अमेरिका ने 2020 में रोक लगाई दी थी। शर्त थी कि विकिरण ट्रीटमेंट के समय उनका इंस्पेक्टर इंस्पेक्शन करेगा। यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर के इंस्पेक्टर कोरोना की वजह से भारत दौरे पर नहीं आ पाए। ऐसे में यह रोक बढ़ती गई। 2021 में 12 वीं अमेरिकी व्यापार नीति फोरम की बैठक में कृषि विभाग और यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसके मुताबिक भारत और अमेरिका भारतीय आम, अनार के निर्यात और अमेरिकन चेरी के आयात पर विकिरण को लेकर संयुक्त प्रोटोकॉल का पालन करेंगे। यूपी से चूंकि आम का निर्यात बढ़ रहा है ऐसे में इसका खास महत्व है।
40 लाख टन आम होता है यूपी में
प्रदेश में लगभग पौने तीन लाख हेक्टेयर भूभाग पर आम की खेती होती है। लगभग 40 लाख टन से ज्यादा आम का उत्पादन होता है। इनमें दशहरी, चौसा और लंगड़ा सबसे ज्यादा है। 2020-21 में 104 टन, 2021-22 में 4122 टन और 2022-23 में जनवरी तक 527 मीट्रिक टन आम का निर्यात किया गया। अभी जापान, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों में निर्यात जारी है।
13 आम फलपट्टी क्षेत्र हैं घोषित कलस्टर बनेगा
यूपी में 16 क्षेत्रों को फल पट्टी घोषित किया गया, इनमें 13 आम फल पट्टी हैं। उद्यान निदेशक डा. आरके तोमर के मुताबिक सहारनपुर, मेरठ, बागपत, बुलंदशहर, अमरोहा, प्रतापगढ़, वाराणसी, लखनऊ, उन्नाव, सीतापुर, हरदोई, फैजाबाद व बाराबंकी आम पट्टी हैं जबकि कौशांबी, बदायूं अमरूद जबकि प्रतापगढ़ आंवला का पट्टी क्षेत्र है। केंद्र सरकार ने आम के लिए एक बड़ा कलस्टर बनाने को कहा है। इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। ई रेडिएशन यूपी में शुरू होने से आम का निर्यात बढ़ेगा और इन क्षेत्रों के उत्पादकों का लाभ होगा।
अमेरिका सबसे अहम है
हमारा प्रयास था कि यूपी में ई रेडिएशन ट्रीटमेंट शुरू हो। अब यह व्यवस्था शुरू हो गई है। हम ऐसे देशों में आम और दूसरे फल भेज सकेंगे जहां इसकी शर्त रखी गई है। अमेरिका इनमें सबसे अहम है। इससे यूपी के आम उत्पादकों को लाभ होगा और प्रदेश की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी – दिनेश प्रताप सिंह, राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), उद्यान एवं कृषि निर्यात