ट्रांसफार्मर में लगी भीषण आग।
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प्रदेश में ट्रांसफार्मर फुंकने की दर लगातार बढ़ रही है। जून में जहां हर दिन औसतन 850 ट्रांसफार्मर फुंक रहे हैं, वहीं जुलाई में यह दर एक हजार से ज्यादा हो गई है। अकेले 25 जुलाई को 1159 ट्रांसफार्मर फुकें हैं। इसमें सर्वाधिक 359 ट्रांसफार्मर पूर्वांचल में फुंके हैं। विभागीय जानकारों का कहना है कि उपकेंद्रों पर कैपेसिटर बैंक लगाने का प्रावधान हैं, लेकिन ज्यादातर जगह इसे नहीं लगाया गया है। जहां लगे हैं, वहां चल नहीं रहे हैं। इसे लगाकर ट्रांसफार्मर को फुंकने से बचाया जा सकता है।
प्रदेश में बिजली की खपत ने इस बार रिकॉर्ड कायम किया है। खपत की दर 28 हजार मेगावाट से अधिक होने के बाद लोकल फाल्ट बढ़ गया है। स्थिति यह है कि जून माह में जहां हर दिन करीब 850 ट्रांसफार्मर जल रहे हैं, वहीं जुलाई में इसकी दर एक हजार से अधिक हो गई है। 25 जुलाई को पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में सर्वाधिक 359 ट्रांसफार्मर जले हैं। इसी तरह मध्यांचलन में 298, दक्षिणांचल में 272, पश्चिमांचल में 228 और केस्को में 2 ट्रांसफार्मर जले हैं।
पूरे प्रदेश में 25 जुलाई तक 27027 ट्रांसफार्मर लगे हैं। इस वर्ष जहां हर दिन करीब 1080 ट्रांसफार्मर जल रह हैं वहीं वर्ष 2022 में जुलाई माह में हर दिन करीब 1144 ट्रांसफार्मर फुंक रहे थे। विभागीय रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में हर दिन ओवर लोड की वजह से 408 ट्रांसफार्मर जल रहे हैं। इसी तरह हर दिन लो आयल की वजह से 30, केबल फाल्ट की वजह से 177 और लाइन फाल्ट की वजह से 221ट्रांसफार्मर फुक रहे हैं। इसमें सर्वाधिक संख्या पूर्वांचल की ही है।
ट्रांसफार्मर की व्यवस्था में करना होगा सुधार
ट्रांसफार्मर जलने की घटनाओं पर एक अभियंता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि आंकड़े बढ़ने की एक बड़ी वजह विभागीय खेल भी है। ज्यादातर जगह ट्रांसफार्मर ओवरलोड हैं। जिस स्थान पर सालभर पहले 25 केवी का ट्रांसफार्मर लगा था, वहां अब 63 या 100 केवी के ट्रांसफार्मर लगाने की ज रूरत है, लेकिन 25 केवी के ट्रांसफार्मर के जलने पर स्टोर से दोबारा उसी क्षमता का ट्रांसफार्मर दिया जाता है। यही वजह है कि कई स्थानों पर ट्रांसफार्मर लगने के दूसरे, तीसरे दिन ही दोबारा फुंकने की सूचना मिलती है। ऐसे में ट्रांसफार्मर बदलते वक्त संबंधित क्षेत्र की विद्युत भार का आकलन किया जाए। जहां ज्यादाभार है वहां तत्काल अधिक क्षमता के ट्रांसफार्मर लगाए जाएं।
कमेटी की रिपोर्ट लागू करने की जरूरत
2007-08 में नियामक आयोग ने इक्विपमेंट क्वालिटी कंट्रोल कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी में आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर के साथ ही राज्य ऊर्जा सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश वर्मा को भी शामिल किया गया था। ट्रांसफार्मरों के जलने की घटना पर अवधेश कुमार वर्मा कहते हैं कि कमेटी ने निर्देश दिया था कि विद्युत वितरण निगम उपकेंद्रों के हिसाब से कैपेसिटर बैंक की स्थापना करें। ताकि ओवर लोडिंग न होने पाए। ओवर लोड के चलते जल रहे ट्रांसफार्मरों को बचाया जा सकता है। इससे वोल्टेज में भी बढोतरी की जा सकती है। इसके बाद भी ज्यादातर जगह कैपिसिटर बैंक स्थापित करने पर ध्यान नहीं दिया गया। जहां बने भी, उनका सदूपयोग नहीं किया जा रहा है। कैपेसिटर बैंक लगाने से ट्रांसफार्मर खराब होने की घटना में कमी आएगी और उपभोक्ताओं को भी इसका लाभ मिलेगा।